CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 3
These Sample Papers are part of CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A. Here we have given CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 3
निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश
* इस प्रश्न-पत्र में चार खण्ड हैं
खण्ड (क) : अपठित अंश -15 अंक
खण्ड (ख) : व्यावहारिक व्याकरण -15 अंक
खण्ड (ग) : पाठ्य पुस्तक एवं पूरक पाठ्य पुस्तक -30 अंक
खण्ड (घ) : लेखन -20 अंक
* चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
* यथासंभव प्रत्येक खण्ड के प्रश्नों के उत्तर क्रमश: दीजिए।
खण्ड (क) : अपठित अंश
प्र.1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
सामाजिक समानता का अभिप्राय है कि सामाजिक क्षेत्र में जाति, धर्म, व्यवसाय, रंग आदि के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव न हो। सबको एक समान समझा जाए और सबको समान सुविधाएँ दी जाएँ। हमारे देश में सामाजिक समानता का अभाव है। जाति-प्रथा के कारण करोड़ों लोग समाज में अछूत के रूप में रहते हैं। उन्हें समाज से बहिष्कृत समझा जाता है और सामाजिक अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है। हमारे समाज में लड़कियों के साथ भी भेदभाव किया जाता है। माता-पिता भी उन्हें वे सुविधाएँ नहीं देते जो वे अपने लड़कों को देते हैं। इस प्रकार की असमानता के कारण बहुत-सी लड़कियों का शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता है। इससे समाज की उन्नति में बाधा पड़ती है। इस प्रकार की असमानता का दूर होना अत्यधिक आवश्यक है। नागरिक समता का अर्थ है कि राज्य में नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हों । कानून और न्यायालयों में गरीब-अमीर और ऊँच-नीच का कोई भेद न किया जाए। दंड से कोई अपराधी बेच न सके। उसी प्रकार राज्य के प्रत्येक नागरिक को राज्य-कार्य में समान रूप से भाग लेने का, मत देने का, सरकारी नौकरी प्राप्त करने को तथा राज्य के ऊँचे-से-ऊँचे पद को अपनी योग्यता के बल पर प्राप्त करने का अधिकार राजनीतिक समानता का द्योतक है।
(i) सामाजिक समानता से क्या अभिप्राय है?
(ii) हमारे देश में सामाजिक असमानता किन रूपों में दिखाई देती है?
(ii) नागरिक समानता से क्या अभिप्राय है?
(iv) लड़कियों का शारीरिक और मानसिक विकास सुचारु रूप से क्यों नहीं हो पाता है?
(v) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
प्र. 2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना, ना अखरता है।
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
डुबकियाँ सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा-जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगुना उत्साह इसी हैरानी में,
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद-चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय-जयकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
(i) असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो।’-पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?
(ii) ‘मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में।’ इस पंक्ति के आधार पर बताइए कि मोती कौन और कब प्राप्त कर पाता है?
(iii) चींटी से प्रेरणा लेकर हमें क्या लाभ प्राप्त होगा?
(iv) कविता में कवि क्या प्रेरणा दे रहा है?
(v) नन्हीं चींटी के उदाहरण द्वारा कवि ने कैसे लोगों को प्रेरणा दी है?
खण्ड (ख) : व्यावहारिक व्याकरण
प्र. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए
(क) तुम घर गए और वह रोने लगी। (सरल वाक्य में परिवर्तित कीजिए)
(ख) वे बोलते जा रहे थे और पिताजी का चेहरा गर्व में बदलता जा रहा था। (रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए)
(ग) घंटी बजी, छात्र पुस्तकें लेकर कक्षा से बाहर निकले। छात्र घर चले गए। (संयुक्त वाक्य में परिवर्तित कीजिए)
प्र. 4. निम्नलिखित प्रश्नों के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए
(क) उसके द्वारा उछलकर पतंग पकड़ ली गई। (सरल वाक्य में परिवर्तित कीजिए)
(ख) स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं। (वाच्य का प्रकार बताइए)
(ग) दिलीप दौड़ा। (भाववाच्य में परिवर्तित कीजिए)
(घ) कवयित्री कविता पढ़ती है। (कर्मवाच्य में परिवर्तित कीजिए)
प्र. 5. निम्नलिखित वाक्यों रेखांकित पदों का पद परिचय लिखिए
(क) मैं अपनी मातृभूमि पर मर मिटॅगी।
(ख) जल्दी भागो, शेर आने वाला है।
(ग) अब हम क्या करें, मरते दम तक न यह शहनाई छूटेगी न काशी।
(घ) माँ ने नौकर से सब्जी मँगाई।
प्र. 6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए
(क) “नेक विलोकि धौं रघुबरनि ।
बाल-भूषन बसन, तन सुंदर रुचिर रज भरनि।
परस्पर खेलनि अजिर उठि चलनि गिरि परनि ।’
-उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में कौन-सा रस निहित है?
(ख) ‘अनुराग/ईश्वर विषयक रति’ स्थायी भाव किस रस का है?
(ग) निम्न काव्य-पंक्तियों में कौन-सा स्थायी भाव है?
“कहुँ सुलगत कोउ चिता कहुँ कोउ जाति बुझाई ।
एक लगाई जाति, एक की राख बहाई।।”
(घ) रस निष्पत्ति में सहायक अवयवों के नाम बताइए।
खण्ड (ग) : पाठ्य पुस्तक एवं पूरक पाठ्य पुस्तक
प्र. 7. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए
फादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है। उनको देखना करुणा के निर्मल जल में स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना कर्म के संकल्प से भरना था। मुझे ‘परिमल’ के वे दिन याद आते हैं जब हम सब एक पारिवारिक रिश्ते में बँधे जैसे थे जिसके बड़े फादर बुल्के थे। हमारे हँसी-मजाक में वह निर्लिप्त शामिल रहते, हमारी गोष्ठियों में वह गंभीर बहस करते, हमारी रचनाओं पर बेबाक राय और सुझाव देते और हमारे घरों के किसी भी उत्सव और संस्कार में वह बड़े भाई और पुरोहित जैसे खड़े हो हमें अपने आशीषों से भर देते। मुझे अपना बच्चा और फादर का उसके मुख में पहली बार अन्न डालना याद आता है और नीली आँखों की चमक में तैरता वात्सल्य भी-जैसे किसी ऊँचाई पर देवदारु की छाया में खड़े हों।
(क) करुणा के निर्मल जल में स्नान करना’ का आशय क्या है?
(ख) फादर बुल्के संकल्प से संन्यासी थे, मन से संन्यासी नहीं थे। कैसे?
(ग) फ़ादर बुल्के के व्यक्तित्व की विशेषताएँ बताइए।
प्र. 8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए
(क) बालगोबिन भगत की किन विशेषताओं के कारण उन्हें साधु कहा जाता था? अपने विचार लिखिए।
(ख) हालदार साहब बार-बार क्या सोचते और क्यों ?
(ग) गिरती आर्थिक दशा ने मन्नू भंडारी के पिता के व्यक्तित्व पर क्या प्रभाव डाला?’एक कहानी यह भी’ पाठ के आधार पर बताइए।
(घ) आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा? ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
प्र.9. निम्नलिखित पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
बादल, गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले घुघराले ,
बाल कल्पना के-से पाले ,
विद्युत-छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा, नूतन कविता
फिर भर दो-
बादल, गरजो!
(क) कवि बादल को क्या घेरने के लिए कह रहा है और क्यों ?
(ख) ललित काले धुंघराले बालों की कल्पना किसके लिए की गई है?
(ग) कवि बादल को गरजने के लिए क्यों कह रहा है?
प्र. 10. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) कवि ने ‘श्रीब्रजदूलह’ किसके लिए प्रयुक्त किया है तथा उन्हें ‘संसार रूपी मंदिर का दीपक’ क्यों कहा है?
(ख) गायकों को गायन के दौरान कौन-कौनसी कठिनाइयाँ आती हैं?
(ग) क्या आप इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि बेटी अपनी माँ के सबसे निकट और उसके सुख-दुःख की साथी होती है? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
(घ) कवि बादल से फुहार, रिमझिम तथा बरसने के स्थान पर गरजने के लिए क्यों कह रहे हैं?
प्र. 11. पहाड़ों पर पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का जीवन अधिक कठिनाइयों से भरा है। उन कठिनाइयों का निवारण वे कर्तव्यप्रियता से ही करती हैं-सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“लड़के और बंदर पराई पीर नहीं समझते।” क्या आप इस बात से सहमत हैं? क्या यह उचित है? स्पष्ट कीजिए।
खण्ड (घ) : लेखन
प्र. 12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिन्दुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए। [10]
(क) नोटबंदी : राष्ट्रहित की ओर एक बड़ा कदम
- नोटबंदी की घोषणा
- कालेधन पर वार
- राष्ट्रहित के लिए देश की जनता का ज़बरदस्त समर्थन
(ख) समाचार-पत्रों की उपयोगिता
- भूमिका
- आरम्भ एवं प्रसार
- महत्व एवं उपयोगिता
- सामाजिक परिवर्तन में समाचार-पत्रों की भूमिका
- उपसंहार
(ग) कन्या भ्रूण हत्या : कारण और निवारण
- भारतीय समाज का कलंक
- कन्याओं के प्रति समाज की दूषित सोच
- इसके कारण
- इस बुराई को रोकने के उपाय
- सरकारी प्रयास
- उपसंहार
प्र. 13. विद्यालय में दसवीं और बारहवीं कक्षा के अच्छे परिणामों पर प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर सुझाइए कि उन्हें और अच्छा कैसे बनाया जा सकता है?
अथवा
अपने क्षेत्र में एक नया पुस्तकालय स्थापित करने हेतु सांसद महोदय को एक पत्र लिखिए।
प्र. 14. आपकी कम्पनी ने मोटापे की रोकथाम के लिये एक आयुर्वेदिक चूर्ण/सीरप/कैप्सूल बनाया है। 25-50 शब्दों में उसका एक विज्ञापन तैयार करें।
अथवा
विद्यालय के वार्षिकोत्सव के अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा निर्मित हस्तकला की वस्तुओं की प्रदर्शनी के प्रचार हेतु लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन लिखिए।
उत्तरमाला
खण्ड (क)
उत्तर 1. (i) सामाजिक क्षेत्र में जाति, धर्म, व्यवसाय, रंग आदि के आधार पर भेदभाव न करनी तथा सभी को एक समान सुविधाएँ एवं अधिकार प्रदान कराना सामाजिक समानता कहलाता है।
(ii) हमारे देश में सामाजिक असमानता कई रूपों में दिखाई देती है। जैसे-जाति-प्रथा यह सामाजिक असमानता का एक कारण है। इसके कारण करोड़ों व्यक्तियों को अछूत समझा जाता है और उन्हें सामाजिक अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है। लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाता है। उन्हें प्रायः वे सुविधाएँ नहीं दी जातीं जो लड़कों को दी जाती हैं।
(iii) राज्य में सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हों। उनके साथ जाति, धर्म आदि के आधार पर कोई भेदभाव न किया जाए। गरीब-अमीर, ऊँच-नीच सभी को समान रूप से न्यायालयों से न्याय मिले। कोई भी अपराधी दंड से बच न पाए। इस प्रकार की समानता को ही नागरिक समानता कहते हैं।
(iv) माता-पिता प्राय: लड़कियों को वे सुविधाएँ नहीं देते हैं जो वे अपने लड़कों को देते हैं, जिसके कारण लड़कियों का शारीरिक और मानसिक विकास सुचारु रूप से नहीं हो पाता है।
(v) सामाजिक व नागरिक समानता।
उत्तर 2. (i) ‘असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो।’ इस पंक्ति द्वारा कवि कहना चाहता है कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितनी बार हार जाते हैं। वह कहता है कि हमें चुनौती के रूप में विफलता को स्वीकार करना चाहिए। हमें निराश नहीं होना चाहिए और आशा खोनी नहीं चाहिए, परन्तु हमें देखना चाहिए कि वास्तव में क्या कमी रही और क्या गलती की ? वह हमें सलाह देता है कि हमें प्रयास करते रहना चाहिए, जब तक कि सफलता न मिल जाये।
(ii) ‘मिलते नहीं सहज ही मोती पानी में।’
इस पंक्ति में सफलता को ‘मोती’ कहा गया है। इस सफलता रूपी मोती को वही प्राप्त कर सकता है जो मेहनत करता है और असफलता से नहीं डरता है।
(iii) चींटी से प्रेरणा लेकर हमें यह लाभ प्राप्त होगा कि हम उससे सीख सकेंगे कि जीवन में कितनी बार भी असफलताएँ आ जाएँ, प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिए। जब तक सफलता न मिल जाए तब तक मेहनत करते रहना चाहिए और दृढ़ता से आगे बढ़ते रहना चाहिए।
(iv) कविता में कवि प्रेरणा दे रहा है कि कोशिश करते रहना चाहिए, एक या उससे अधिक विफलता से निराश नहीं होना चाहिए। अंत में सफलता जरूर प्राप्त होगी।
(v) नन्हीं चींटी के उदाहरण द्वारा कवि ने उन लोगों को प्रेरणा दी है जो असफलता से डरते हैं, निराशा में रहते हैं और जो प्रयास नहीं करते हैं।
खण्ड (ख)
उत्तर 3.
(क) तुम्हारे घर जाते ही वह रोने लगी।
(ख) संयुक्त वाक्य।।
(ग) घंटी बजी और छात्र पुस्तकें लेकर कक्षा से बाहर निकलकर घर चले गए।
उत्तर 4. (क) उसने उछलकर पतंग पकड़ ली।
(ख) कर्तृवाच्य।
(ग) दिलीप से दौड़ा गया।
(घ) कवयित्री के द्वारा कविता पढ़ी जाती है।
उत्तर 5. (क) मर मिटूगी-अकर्मक क्रिया, स्त्रीलिंग, एकवचन, भविष्यत काल, उत्तम पुरुष, कर्तृवाच्य, ‘मैं’ क्रिया की कर्ता।
(ख) जल्दी-अव्यय, कालवाचक, क्रिया-विशेषण, क्रिया का विशेषण’ भागो’ ।
(ग) हम-पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुष, पुल्लिग, कर्ता कारक।
(घ) नौकर-जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, अपादान कारक में।
उत्तर 6. (क) वात्सल्य रस।
(ख) भक्ति ।
(ग) घृणा (जुगुप्सा) वीभत्स रस।
(घ) रस निष्पत्ति में सहायक अवयव हैं-स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव।
खण्ड (ग)
उत्तर 7. (क) लेखक ने फादर बुल्के के स्वभाव की कल्पना ऐसी की है कि उनको देखकर ही मन में करुणा का भाव जाग्रत हो जाता था मानो निर्मल जल में स्नान कर रहे हों। उनको सुनकर मन कर्म करने के लिए दृढ़ हो जाता था।
(ख) फादर बुल्के संकल्प से संन्यासी थे। उन्होंने ईसाई पादरी बनकर घर-गृहस्थी से संन्यास तो ले लिया था, पर उनके मन में अपनों-आत्मीयों के प्रति गहरा लगाव था। सांसारिक लगाव संन्यासियों का लक्षण नहीं है। पर फादर बुल्के लेखक के प्रति, उनके परिवारीजनों के प्रति या अन्य परिचितों के प्रति गहरा स्नेह रखते थे। वे लेखक को गले लगाकर मिलते थे। वे जन्म, मृत्यु जैसे समारोहों में पूरे स्नेहभाव से सम्मिलित होते थे।
(ग) फादर बुल्के का व्यक्तित्व वात्सल्यमय और करुणापूर्ण था। उनकी बाँहें हर किसी को गले लगाने के लिए तैयार रहती थीं। वे अपरिचितों को भी परिचित की तरह प्रेम करते थे।
उत्तर 8. (क) बालगोबिन भगत गृहस्थ जीवन जीते हुए मोह-माया में नहीं बँधे थे। वे कबीर को अपना इष्ट मानते थे तथा अपने खेत की पैदावार को भी कबीरपंथी मठ को अर्पित कर देते थे। वहाँ से प्रसाद रूप में जो भी प्राप्त होता था, उसी से वे गुजारा करते थे। वे कभी झूठ नहीं बोलते थे और सबसे खरा व्यवहार करते थे। वे कभी भी किसी की चीज नहीं छूते थे। उनका आचरण साधु की। परिभाषा पर पूरी तरह खरा उतरता था। इसी कारण उन्हें साधु कहा जाता था।
(ख) हालदार साहब बार-बार यही सोचते थे कि कस्बे में सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति पर चश्मा क्यों नहीं था? किसकी कमी के कारण चश्मा बनने से रह गया। फिर उन्हें याद आता था कि कस्बे वाले जैसे-तैसे कोई-न-कोई चश्मा नेताजी की मूर्ति पर लगा देते हैं। उन्हें कस्बे वालों का यह प्रयास प्रशंसनीय लगता था। हालदार साहब भी देशभक्त थे। नेताजी के प्रति उनके मन में गहरा सम्मान था। इसलिए वे आते-जाते उनकी मूर्ति के बारे में सोचा करते थे।
(ग) गिरती आर्थिक दशा ने मन्नू भंडारी के पिता के व्यक्तित्व पर बहुत गहरा प्रभाव डाला। उन्हें सदा शीर्ष पर रहने की आदत थी, परन्तु गिरती आर्थिक दशा ने उनकी स्थिति में बहुत परिवर्तन ला दिया था। अंग्रेजी-हिन्दी शब्दकोश पूरा करने पर उन्हें यश और प्रतिष्ठा तो खूब मिली, किन्तु धन नहीं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति पहले से और बुरी हो गई थी। इससे उनके व्यक्तित्व के सारे सकारात्मक पहलू समाप्त होते चले गए। इसी कारण उन्हें अपना शहर इंदौर भी छोड़ना पड़ा था।
(घ) बुल्के जब इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में थे, तब अचानक ही उन्होंने संन्यासी बनने एवं भारत आने का निर्णय लिया। भारत आने का विचार अचानक ही बुल्के के मन में नहीं उठा होगा। शायद उनके अवचेतन मन में भारतभूमि और भारतीय संस्कृति के प्रति पहले से ही प्रेम की भावना रही होगी, जो संन्यास लेने के समय उभरकर सामने आ गई।
उत्तर 9. (क) कवि बादल को पूरा आकाश घेरने के लिए कह रहा है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे आकाश धरती का संरक्षक है।
(ख) बादल का रूप काला, घना और फैलाव भरा होता है। उनका रूप ऐसा होता है मानो किसी बच्चे के काले धुंघराले सुंदर केश हों। रूप, रंग और फैलाव की समानता के कारण बादलों की कल्पना ललित काले हुँघराले बालों के लिए की गई है।
(ग) कवि बादल को गरजने के लिए इसलिए कह रहा है क्योंकि वह वातावरण में जोश, पौरुष और क्रान्ति चाहता है। निराला को बादल की गड़गड़ाहट बहुत प्रिय है।
उत्तर 10. (क) कवि ने ‘श्रीब्रजदूलह’ का प्रयोग श्रीकृष्ण जी के लिए किया है। जिस प्रकार दीपक मंदिर को अपनी पवित्र लौ से प्रकाशित कर देता है, वैसे ही उसकी पवित्र लौ भक्तों के अंदर श्रद्धा की भावनाओं को और गहरा करती है और उन्हें प्रेरणा देती है, उसी प्रकार श्रीकृष्ण अपने तेज से संसार रूपी मंदिर को प्रकाशित करते हैं तथा उनके ज्ञान तथा तेजस्वी व्यक्तित्व से प्रेरणा एवं मार्गदर्शन पाकर लोग कर्मपथ पर आगे बढ़ते हैं।
(ख) गायकों को गायन के दौरान अनेक कठिनाइयाँ आती हैं। कभी-कभी ऊँचा स्वर उठाते समय उनका गला बैठ जाता है। कभी गाने की शक्ति समाप्त हो जाती है। कभी उत्साह मंद पड़ जाता है। कभी स्वर टूटने लगता है। कभी आलाप करते-करते गायक मस्ती में इतना खो जाता है कि वह गीत का मूल स्वर भूल जाता है। इस प्रकार वह भटक जाता है।
(ग) हम इस बात से पूर्णतः सहमत हैं कि बेटी अपनी माँ के सबसे निकट होती है। बेटी माँ के साथ सबसे ज्यादा समय बिताती है। बेटी का माँ के साथ अधिक लगाव होता है और उसके सुख-दुःख को भली-भाँति समझ सकती है। वह अपनी माँ की भावनाओं का सम्मान करना जानती है।
(घ) “फुहार’, ‘रिमझिम’ तथा ‘बरसना’ वास्तव में कोमलता व मृदुल सोच के प्रतीक हैं, किन्तु जब नवीन परिवर्तन लाना हो तो ‘गर्जन’ यानी विद्रोह और क्रान्ति की आवश्यकता होती है। इसलिए कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर गरजने के लिए कह रहा है क्योंकि कवि का मानना है कि नवीनता लाने के लिए विध्वंस, विप्लव और क्रान्ति आवश्यक हैं। कवि
ने बादल से गरजने का आह्वान करके एक प्रकार से कविता द्वारा नूतन विद्रोह का आह्वान किया है।
उत्तर 11. पहाड़ों पर पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का जीवन अधिक कठिनाइयों से भरा होता है, क्योंकि घरेलू जिम्मेदारियों का भार स्त्रियों को ही वहन करना पड़ता है। घर के सभी सदस्यों के लिए पीने के पानी का प्रबंध करना, खाना बनाने के लिए ईंधन इकट्ठा करना, मवेशियों को चराना आदि काम स्त्रियों को ही करने पड़ते हैं। इसके लिए उन्हें काफी परिश्रम करना पड़ता है। अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए वे सड़कें बनाने जैसा दुस्साध्य कार्य भी करती हैं।
इन सभी कामों के साथ-साथ उनकी मातृत्व साधना भी चलती रहती है, हमारे समाज में बच्चों के पालन-पोषण की प्राथमिक जिम्मेदारी स्त्रियों को ही निभानी पड़ती है। उन्हें पत्थर तोड़ने और सड़क बनाने जैसे खतरनाक कामों को करते समय अपने बच्चों को भी पीठ पर बाँधकर सँभालना पड़ता है। वे इन सभी कठिनाइयों का निवारण अत्यंत कर्तव्यप्रियता से करती हैं। भूख, मौत, दैन्य और जिंदा रहने की जंग में भी वे मुस्कुराती रहती हैं और अपने कर्तव्यों का सहज भाव से पालन करती रहती हैं। इस प्रकार की जीवन-शैली को उन्होंने स्वाभाविक तथा सहज रूप से अपना लिया है।
अथवा
यह बात पूर्णत: सत्य है कि जब लड़के खेल खेलते हैं, तो कई बार वे ऐसे खेल भी खेलने लगते हैं, जिससे बेवजह मासूम पक्षियों और पशुओं को कष्ट होता है। कई बार तो पक्षियों, तितलियों, चटियों आदि को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। इसी प्रकार बच्चे गली में खेलते हुए कुत्तों, गधों आदि को बहुत तंग करते हैं, जिससे कई बार इन पशुओं को चोट भी लग जाती है।
इसी प्रकार बंदर किसी का भी कीमती सामान उठाकर ले जाते हैं तथा तोड़-फोड़ देते हैं, वे नहीं जानते कि ये किसी के लिए कितना आवश्यक है। मेरे विचार से ऐसा करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है, क्योंकि पशु-पक्षियों को सताना, तंग करना और दु:ख देना किसी भी दृष्टि से सही नहीं कहा जा सकता है। ऐसे पशु-पक्षियों को तंग करना, जो बच्चों को तंग भी नहीं करते, पूरी तरह अनुचित है।
खण्ड (घ)
उत्तर 12. (क) नोटबंदी : राष्ट्रहित की ओर एक बड़ा कदम
नोटबंदी की घोषणा-नोटबंदी कालेधन पर करारा वार सिद्ध हुआ और धीरे-धीरे कालाधन बाहर आने लगा। नोटबंदी काले धन से देश को मुक्ति दिलाने के लिए देशहित में सरकार द्वारा उठाया गया एक बड़ा कदम था। इस घोषणा के तहत सरकार ने पाँच सौ व एक हजार के नोटों को बंद करके पाँच सौ तथा दो हजार के नए नोट छापने का निर्णय लिया। नोटबंदी की घोषणा से काला धन लिए बैठे लोगों की हवाइयाँ उड़ गईं और साथ ही आम आदमी को भी थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, किन्तु तमाम परेशानियों के बावजूद इस ऐतिहासिक निर्णय को देश की जनता का जबरदस्त समर्थन मिला क्योंकि जनता जानती थी कि देश को कालेधन से मुक्ति दिलाने के लिए ये परेशानियाँ झेली जा सकती हैं।
काले धन पर वार-विमुद्रीकरण का सही तात्पर्य यह है कि जब किसी देश कि सरकार अपनी पुरानी मुद्रा को कानूनी रूप से बंद कर देती है तो इस प्रक्रिया को विमुद्रीकरण (Demonetization) कहते हैं। 8 नवम्बर, 2016 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भारत में 500 व 1000 के नोटों को अचानक बंद करने की घोषणा की। कालेधन का उपयोग आतंकवाद, अपराध और तस्करी जैसे आपराधिक कार्यों में भी बड़े पैमाने पर नगद लेन-देन के रूप में होता है।
अलगाववादियों, आतंकवादियों में नक्सलियों को काले धन से मिलने वाली फंडिंग बंद होने से उनकी कमर टूटने लगी है और उनकी क्रूर योजनाओं पर रोक लगाना संभव हो सका है।
राष्ट्रहित के लिये देश की जनता का जबरदस्त समर्थन-कुछ विपक्षी नेताओं ने ऐसे साहस भरे कदम की आलोचना भी की, किन्तु देश की जनता ने उनके कथनों पर ध्यान न देकर इस कदम का व्यापक स्तर पर समर्थन किया। इस कदम के नतीजे देश में दिखाई देने लगे हैं। अत: निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि नोटबंदी की घोषणा सरकार द्वारा देशहित में लिया गया एक उचित निर्णय था।
(ख) समाचार-पत्रों की उपयोगिता
भूमिका-समाचार-पत्र जनसंचार का एक सशक्त तथा प्रभावशाली माध्यम है। यद्यपि आज का युग प्रौद्योगिकी और संचार क्रांति का युग है, जिसमें टेलीविजन, इंटरनेट जैसे नवीन जनसंचार माध्यम भी उपलब्ध हैं, लेकिन समाचार-पत्रों की उपयोगिता तथा सार्थकता ज्यों-की-त्यों ही बनी हुई है। इनकी निष्पक्षता, निर्भीकता, प्रामाणिकता तथा विश्वसनीयता में लगातार वृद्धि हो रही है।
आरम्भ एवं प्रसार-समाचार-पत्रों का उद्भव सोलहवीं शताब्दी में प्रिंटिंग प्रेस के आविष्कार के साथ ही हो गया था, परन्तु इनका विकास अठारहवीं शताब्दी में ही रफ्तार पकड़ पाया। भारत में समाचार-पत्रों की शुरुआत ‘बंगाल गजट’ के प्रकाशन के साथ हुई थी। 1780 ई. में जेम्स ऑगस्टस हिकी द्वारा अंग्रेजी भाषा में समाचार-पत्र प्रकाशित किया गया था। हिन्दी का पहला समाचार-पत्र ‘उदंत मार्तंड’ था। इस समय भारत में कई भाषाओं में लगभग तीस हजार से भी अधिक त्रैमासिक, मासिक, पाक्षिक तथा दैनिक समाचार-पत्र प्रकाशित हो रहे हैं, इनमें ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘द हिंदू’, ‘नवभारत टाइम्स’, ‘दैनिक जागरण’, ‘जनसत्ता’, ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ आदि प्रमुख हैं।
महत्व एवं उपयोगिता- भारतवर्ष में स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही समाचार-पत्रों की महत्ता तथा उपयोगिता बनी हुई है। देश के प्रसिद्ध नेताओं ने भारतीय जनता में देशप्रेम की भावना जगाने के लिए समाचार-पत्रों को ही माध्यम बनाया था। वर्तमान समय में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए इसे ‘लोकतंत्र का चौथा स्तंभ’ नाम से अलंकृत किया गया है। समाचार-पत्रों को लोकमत निर्माण, सूचनाओं का प्रसार, भ्रष्टाचार एवं घोटालों का पर्दाफाश तथा समाज की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करने के लिए जाना जाता है। देश के प्रथम नागरिक से लेकर एक आम आदमी तक इनकी पहुँच है, क्योंकि समाचार-पत्र जनसंचार का सबसे सस्ता, परन्तु विश्वसनीय माध्यम है। समाचार-पत्र सरकार एवं जनता के बीच एक सेतु का कार्य करते हैं।
सामाजिक परिवर्तन में समाचार-पत्रों की भूमिका-समय के साथ-साथ समाचार-पत्रों का कार्यक्षेत्र भी बढ़ गया है। अब इनका मुख्य उद्देश्य केवल सूचनाएँ उपलब्ध करवाना ही नहीं है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन में इनकी भूमिका उल्लेखनीय हो गई है। यहाँ तक कि कभी-कभी सरकार को गिराने में भी ये सफल रहते हैं। इसीलिए एक कवि ने कहा है
“झुक जाती है तलवार भी अखबार के आगे,
झुक जाती है सरकार भी अखबार के आगे।”
उपसंहार-किसी भी देश में जनता का मार्गदर्शन करने के लिए निष्पक्ष तथा निर्भीक समाचार-पत्रों का होना आवश्यक है। समाचार-देश की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। समाचार-पत्रों को सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों से जन साधारण को अवगत कराने की जिम्मेदारी भी वहन करनी पड़ती है। अत: समाचार-पत्रों को पत्रकारिता के मूल्यों पर चलते हुए स्वस्थ लोकतंत्र के निर्माण में अपना योगदान देते रहना होगा।
(ग) कन्या भ्रूणहत्या : कारण और निवारण
भारतीय समाज का कलंक-कन्या भ्रूणहत्या जैसी बुराई भारतीय समाज पर कलंक है। ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता’ जैसे आदर्शों का शंखनाद करने वाले भारतीय परिवेश में कन्याएँ जिस सम्मान व स्नेह की अधिकारी हैं, वह उन्हें आज तक प्राप्त नहीं हुआ है। आज जब देश चाँद पर पहुँचने के साथ-साथ मंगल ग्रह पर भी अपनी दस्तक दे चुका है, तब कन्या भ्रूणहत्या जैसे कृत्य को अंजाम देना यही दर्शाता है कि हम आज भी लकीर के फकीर बने हुए हैं और हम आज भी पुत्र को ही वंश चलाने के लिए आवश्यक मानते हैं।
कन्याओं के प्रति समाज की दूषित सोच-प्रतिवर्ष न जाने कितनी बेटियाँ कोख में ही कत्ल कर दी जाती हैं। इस जघन्य कृत्य के पीछे बहुत से कारण हैं, जिनमें प्रमुख कारण हैं-दकियानूसी मानसिकता, अशिक्षा, मूंछ नीची हो जाने का भय, निर्धनता, एक ही जगह दो या अधिक पुत्रों की अभिलाषा, कानून का भय न होना आदि। कई राज्यों में स्थिति इतनी भयावह है कि कन्या के जन्म लेने के बाद उसकी इतनी उपेक्षा की जाती है या इतनी प्रताड़ना दी जाती है कि वह कुछ ही घंटों या दिनों में दम तोड़ देती है।
इसके कारण-कन्या भ्रूण हत्या का एक बड़ा कारण दहेज प्रथा भी है। लोग लड़कियों को पराया धन समझते हैं, उनकी शादी के लिए दहेज की व्यवस्था करनी पड़ती है। दहेज जमा करने के लिए कई परिवारों को कर्ज भी लेना पड़ता है, इसलिए भविष्य में इस प्रकार की समस्याओं से बचने के लिए लोग गर्भावस्था में ही लिंग परीक्षण करवाकर कन्या भ्रूण होने की स्थिति में उसकी हत्या करवा देते हैं। हमारे समाज में महिलाओं से अधिक पुरुषों को महत्व दिया जाता है।
इस बुराई को रोकने के उपाय-इसके निवारण के लिए भारतीयों को कन्याओं के प्रति अपनी दकियानूसी सोच को पूरी तरह बदलना होगा और बेटा-बेटी में अंतर करने की भावना को छोड़ना होगा।
सरकारी प्रयास- भारत में वर्ष 2004 में पीसीपीएनडीटी एक्ट लागू कर भ्रूण हत्या को अपराध घोषित कर दिया गया। इसके बाद भी कन्या भ्रूण हत्या पर पूर्ण नियंत्रण नहीं हो सका। लोग चोरी छिपे पैसे के बल पर इस कुकृत्य को अंजाम देते हैं। कन्या भ्रूण हत्या एक सामाजिक अभिशाप है और इसे रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना होगा। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर ही इस कृत्य को रोका जा सकता है।
उपसंहार-किसी भी देश की प्रगति तब तक संभव नहीं है, जब तक वहाँ की महिलाओं को प्रगति के पर्याप्त अवसर न मिलें । जिस देश में महिलाओं का अभाव हो, उसके विकास की कल्पना भला कैसे की जा सकती है। कन्या भ्रूण हत्या पर नियंत्रण कर इसे समाप्त करने में महिलाओं की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो सकती है, किन्तु साक्षर महिला ही अपने अधिकारों की रक्षा कर पाने में सक्षम होती है, इसलिए हमें महिला शिक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा।
उत्तर 13. सेवा में,
प्रधानाचार्य जी,
राजकीय माध्यमिक विद्यालय,
नेहरू मार्ग,
नई दिल्ली।
दिनांक 8 मई 20xx
विषय-अच्छे परिणाम हेतु सुझाव-पत्र।
महोदय,
नम्र निवेदन है कि हमारा विद्यालय अपने क्षेत्र के विशेष विद्यालयों में गिना जाता है, शिक्षा का और अधिक विस्तार करने के लिए। हमें हमारे विद्यालय में परिश्रमी एवं योग्य शिक्षकों को नियुक्त करना चाहिए जिससे शिक्षा व्यवस्था और अच्छी, सुव्यवस्थित एवं नियमित रूप से हो सके। जिससे कक्षा दसवीं एवं बारहवीं के परिणाम अच्छे आ सकेंगे तथा शिक्षकों द्वारा उन्हें नया मार्गदर्शन प्राप्त होगा जिसके कारण हमारे विद्यालय को ख्याति प्राप्त होगी। हमारा उद्देश्य विद्यार्थियों को उचित शिक्षा मुहैया करवाना है।
धन्यवाद!
आपका आज्ञाकारी शिष्य
विनोद शर्मा
अथवा
परीक्षा भवन,
फरीदाबाद।
दिनांक : 19 मई, 20xx
सेवा में,
माननीय सांसद महोदय,
फरीदाबाद ।
विषय : क्षेत्र में नया पुस्तकालय खोलने हेतु।
महोदय,
निवेदन यह है कि मैं सेक्टर-20 से सेक्टर-65 तक बहुत आबादी बस चुकी है। यहाँ की जनसंख्या पिछले पाँच सालों की तुलना में तीन गुना अधिक हो चुकी है, किन्तु इस क्षेत्र में पुस्तकालय की व्यवस्था अभी तक नहीं है। पुस्तकालय से संबंधित किसी भी काम के लिए लोगों को यहाँ से बहुत दूर सेक्टर-14 में जाना पड़ता है, जिससे बहुत परेशानी होती है। विशेषकर बूढ़ों और महिलाओं को बहुत कष्ट उठाना पड़ता है। सिर्फ विद्यार्थी ही इसका लाभ ले पाते हैं।
मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि इस क्षेत्र की आवश्यकता और परेशानी को देखते हुए इस क्षेत्र में शीघ्र ही एक पुस्तकालय खुलवाने की व्यवस्था करें, जिससे यहाँ के नागरिकों को होने वाली पठन-पाठन की परेशानियों से छुटकारा मिल सके।
धन्यवाद!
भवदीय
क. ख. ग.
उत्तर 14.
अथवा
विद्यालय के वार्षिकोत्सव पर हस्तकला प्रदर्शनी
We hope the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 3 help you. If you have any query regarding CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 3, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.