CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Set 2
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निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निदेश
* इस प्रश्न-पत्र में चार खण्ड हैं
खण्ड (क) : अपठित अंश 15 अंक
खण्ड (ख) : व्यावहारिक व्याकरण 15 अंक
खण्ड (ग) : पाठ्य पुस्तक एवं पूरक पाठ्य पुस्तक 25 अंक
खण्ड (घ) : लेखन 25 अंक
* चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
* यथासंभव प्रत्येक खण्ड के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खण्ड (क) : अपठित अंश
प्र. 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए
मानव के विचार अथवा अनुभव में जो कुछ भी श्रेष्ठ है, उदात्त है, वह इसका या उसका नहीं है, जातिगत अथवा देशगत नहीं है, वह सबका है, सारे विश्व का है। समस्त ज्ञान, विज्ञान और सभ्यता सारी ही मानवता की विरासत है। भले ही एक विचार का जन्म किसी अन्य देश में भिन्न भाषा-भाषी लोगों के द्वारा हुआ हो, वह हम सबका भी है। पूर्व और पश्चिम, उत्तर और दक्षिण के भेद, अक्षांश और देशांतर का भेद तथा जलवायु और भौगोलिक सीमा के भेद सर्वथा निराधार हैं। संप्रदाय, समुदाय और जाति के नाम पर आदर्शो, मूल्यों की प्रस्थापना करना संकीर्णता के वातावरण में मानवता का दम घोंटना-सा है। जो कुछ भी उपलब्धि है, वह चाहे जिस भू-भाग की उपज हो, मानव की है, सभी की है, महापुरुष परस्पर विरोधी नहीं होते हैं, एक- दूसरे के पूरक होते हैं। महापुरुषों में अपने युग और देश की विशेषताएँ होती हैं । विवेकशील मनुष्य नम्रतापूर्वक महापुरुषों से शिक्षा ग्रहण कर अपने जीवन को प्रकाशित करने का प्रयत्न करता है। समस्त मानवता उसके प्रति कृतज्ञ है, किंतु अब हमें उनसे आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि ज्ञान की इतिश्री नहीं होती है तथा किसी का शब्द अंत नहीं होता है । संसार एक खुली पाठशाला है, जीवन एक खुली पुस्तक है । सदैव सीखते ही रहना चाहिए यही आगे बढ़ने के लिए नए रास्ते खोलता है। विकास की क्रिया के मूल में मानव की पूर्ण बनने की अपनी प्रेरणा है। विकास के लिए समन्वय की भावना होना परम आवश्यक होता है । यदि हम विभिन्न विचारधाराओं एवं उनके जन्मदाता महापुरुषों का पूर्ण खंडन अथवा पूर्ण मंडन करें तो विकास-पथ अवरुद्ध हो जाएगा। अतएव समन्वय की भावना से युक्त होकर, सब ओर से सार वस्तुओं को ग्रहण करते हुए हम उनका लाभ उठा सकते हैं। किसी धर्म विशेष या मान्यता के बँटे के साथ संकीर्ण भाव से बँधकर तथा परंपराओं और रूढ़ियों से जकड़े हुए रहकर हम नहीं बढ़ सकते हैं।
(i) जातिगत तथा देशगत आधार पर किन बातों को सर्वथा निराधार माना गया है ?
(ii) महापुरुष परस्पर विरोधी नहीं होते हैं, एक-दूसरे के पूरक होते हैं, कैसे ?
(iii) विवेकशील मनुष्य क्या करता है ?
(iv) विकास के लिए क्या आवश्यक है ?
(v) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए ।
प्र. 2. निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए
किसी पेड़ पर टांग दो
अपनी निष्ठा, विश्वास, ईमानदारी
के अस्त्र-शस्त्र
चलते बनो
अज्ञातवास की ओर
ध्यान रहे इस युग में
इसकी कोई समय और सीमा नहीं ।
पैरों से जुते कन्धों की गाड़ी पर
हर इन्सान ढो रहा है अपनी ज़िन्दगी
स्वयं ही सवार है किस्मत के पथ पर
अपनी मिट्टी की गाड़ी पर
क्या पता वह कब टकरा जाये
उस समय के पत्थर से
जो उसे मंज़िल की दूरी नहीं
उम्र का हिसाब बता रहा हो
शायद बोझ समझ इसलिए वह जिंदगी
अपनी मिट्टी की गाड़ी पर ढो रहा हो ।
(i) कवि ने निष्ठा, विश्वास और ईमानदारी की तुलना किससे की है?
(ii) किस्मत के पथ पर कौन और क्यों सवार है?
(iii) मनुष्य जिंदगी को बोझ क्यों समझ रहा है?
खण्ड (ख) : व्यावहारिक व्याकरण
प्र. 3. (क) पद और शब्द का अंतर उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
(ख) रचना के आधार पर निर्देशानुसार वाक्य परिवर्तन कीजिए –
(i) गाँव में लगातार बारिश होने से किसान परेशान हो गए। (मिश्र वाक्य में)
(ii) तुम बाहर बैठकर रामू की प्रतीक्षा करो । (संयुक्त वाक्य में)
(iii) तुम्हारा मित्र कमलेश जो मुझे आज मिला वह बहुत दुबला-पतला था । (सरल वाक्य में)
प्र. 4. (क) किन्हीं दो का समास – विग्रह करके समास का नाम लिखिए
गोदान, हथकड़ी, श्वेतांबर
(ख) किन्हीं दो का समस्तपद बनाकर समास का नाम लिखिए
तपस्या रूपी धन, सुबह और शाम, शत (सी) अब्दों (वर्षों) का समूह ।
प्र. 5. (क) निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए –
(i) प्रधानाचार्या शिक्षिका को बुलाया ।।
(ii) गाँधी जी सबसे महानतम थे।
(iii) माँ खाना पकाई ।
(iv) नलिनी गर्म – गर्म गेहूँ की रोटी खाना चाहती है।
(ख) (i) रिक्त स्थान की पूर्ति उचित मुहावरों द्वारा कीजिए
महेश झूठ बोलकर मेरी साइकिल ले गया, अब वापस नहीं दे रहा है । वह जानता नहीं मुझे…….आता है।
(ii) आड़े हाथों लेना’ मुहावरे का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए।
प्र. 6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(i) पुलिस द्वारा क्या नोटिस निकाला गया था? कौंसिल का क्या नोटिस था? ।
(ii) लेखक ने ‘झेन की देन में किस काल को अनंत काल जितना विस्तृत कहा है और क्यों?
(iii) लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली क्यों लगवानी पड़ी?
प्र. 7. शुद्ध आदर्शों और व्यावहारिकता की तुलना किससे और क्यों की गई है? पाठ के आधार पर लिखिए ।
अथवा
बड़े भाई साहब की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
प्र. 8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(i) कबीर के अनुसार निंदक कौन होता है ? उन्होंने उसे अपना सबसे बड़ा शुभचिंतक क्यों माना है?
(ii) सहस दृग सुमन’ से कवि का क्या तात्पर्य है? कवि ने इस शब्द का प्रयोग क्यों किया होगा?
(iii) आत्मत्राण’ कविता में कवि अंत में क्या अनुनय करता है?
प्र. 9. मीराबाई, श्रीकृष्ण की भक्ति किस रूप में करती थी? पद के आधार पर श्रीकृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन कीजिए।
अथवा
‘कर चले हम फिदा’ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है? अपने शब्दों में लिखिए ।
प्र. 10. ‘हरिहर काका’ ने अपनी जायदाद के विषय में मन ही मन क्या और क्यों निश्चय कर लिया था ?
अथवा
‘सपनों के से दिन’ पाठ में वर्णित स्कूली जीवन और आज के स्कूली जीवन में क्या अंतर है ?
खण्ड (घ) : लेखन
प्र. 11. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए
(क) हमारा राष्ट्रीय ध्वज
- परिश्रम का महत्त्व
- गौरव का प्रतीक-इसका रंग रूप, उत्साह और शौर्य की प्रेरणा, इसका सम्मान करना सबका कर्तव्य
- उपसंहार
(ख) फ़िल्मों का भारतीय समाज पर प्रभाव
- फिल्म निर्माण का इतिहास
- फिल्म और समाज
- फिल्म निर्माण का उद्देश्य और उसकी पूर्ति
- उपसंहार
(ग) ऋतुओं का देश – भारत
- छह ऋतुओं के नाम
- ऋतुओं का राजा वसंत और रानी वर्षा का संक्षिप्त वर्णन
- ऋतुओं का परिवर्तन और उनका प्रभाव
- उपसंहार
प्र. 12. बस यात्रा के दौरान सामान चोरी हो जाने और बस संचालक से शिकायत करने पर उचित कार्यवाही न करने की सूचना देते हुए नगर पुलिस-अधीक्षक को पत्र लिखिए।
अथवा
आपके मित्र ने विद्यालय की परीक्षा में सर्वोत्तम स्थान प्राप्त किया है। अतः वार्षिकोत्सव में उसके उत्साह को बढ़ाने के लिए उसे पुरस्कृत करने का आग्रह करते हुए प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए
प्र. 13. विद्यार्थियों को स्कूल की हॉकी टीम के चयन की जानकारी देते हुए प्रधानाचार्य, केंद्रीय विद्यालय , अ ब स नगर की ओर से 20-30 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए।
अथवा
आपकी संस्था स्वस्थ बाल मंच’ के द्वारा लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। अध्यक्ष होने के नाते मंच के सभी कार्यकर्ताओं के लिए 25-50 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए।
प्र. 14. अपने मनपसंद हीरो की प्रशंसा पर आधारित दो मित्रों की बातचीत पर आधारित लगभग 30 शब्दों का संवाद-लेखन लिखिए।
अथवा
स्कूली परीक्षा में कम अंक लाने वाले छात्र को लेकर अध्यापिका और अभिभावक की बातचीत पर आधारित संवाद-लेखन लगभग 50 शब्दों में कीजिए।
प्र. 15. आपकी खिलौनों की कंपनी है जो 5 से 10 वर्ष के बच्चों के लिए खिलौने बनाती है । 30-50 शब्दों में उसका एक विज्ञापन तैयार करें ।
अथवा
कूड़ा-करकट खुले में न डालने के प्रति लोगों को जागरूक बनाने के लिए मानवी संस्था की ओर से जनहित में जारी 20 – 30 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तरमाला
खण्ड (क)
उत्तर 1. (i) जातिगत तथा देशगत आधार पर भेद की बातों को सर्वथा निराधार माना गया है । संसार में जो कुछ भी श्रेष्ठ है वह सबका है। समस्त ज्ञान, विज्ञान और सभ्यता मानवता की विरासत है । अतः किसी भी प्रकार का अंतर निरर्थक है।
(ii) महापुरुषों में अपने युग और देश की विशेषताएँ होती हैं । वे एक दूसरे के पूरक रूप में होते हैं तथा अपनी विचारधारा और कार्यों से मानवता का कल्याण कर विकासोन्मुख होते हैं।
(iii) विवेकशील मनुष्य नम्रतापूर्वक महापुरुषों से शिक्षा ग्रहण कर अपने जीवन को प्रकाशित करने का प्रयत्न करता है। वह संकुचित विचारधाराओं से मुक्त रहता है।
(iv) विकास की क्रिया के मूल में मानव की पूर्ण बनने की अपनी प्रेरणा है। विकास के लिए समन्वय की भावना होना परम आवश्यक है। विभिन्न विचारधाराओं एवं उनके जन्मदाता महापुरुषों का पूर्ण खंडन अथवा पूर्ण मंडन न कर समन्वय के भाव से विकास-पथ पर अग्रसर होना चाहिए ।
(v) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उचित शीर्षक विकास का पथ’ है।
उत्तर 2. (i) कवि ने निष्ठा, विश्वास और ईमानदारी की तुलना अस्त्र-शस्त्र से की है। लोग अब इसका प्रयोग आदर्शों की स्थापना के लिए नहीं अपितु अपने स्वार्थ के लिए करते हैं।
(ii) मनुष्य किस्मत के पथ पर सवार है क्योंकि मनुष्य के जीवन से उत्साह समाप्त हो चुका है । वह मेहनत करते-करते थक चुका है। अपने आपको किस्मत के सहारे छोड़ चुका है।
(iii) मनुष्य मेहनत करते-करते थक चुका है और अब वह जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर है अतः वह अपनी जिंदगी को बोझ समझ रहा है।
खण्ड (ख)
उत्तर 3. (क) जब कोई शब्द व्याकरण के नियमों के अनुसार वाक्य में प्रयुक्त होता है तब वह शब्द पद बन जाता है । जैसे- रीता, यहाँ एक शब्द है। रीता मेरी अच्छी मित्र है। यहाँ ‘रीता’ पद है।
(ख) (i) जैसे ही गाँव में लगातार बारिश होने लगी वैसे ही किसान परेशान हो गए।
(i) तुम बाहर बैठो और रामू की प्रतीक्षा करो।
(ii) तुम्हारा दुबला-पतला मित्र कमलेश आज मुझे मिला ।
उत्तर 4. (क) गोदान-गाय का दान, तत्पुरुष समास । हाथकड़ी-हाथ के लिए कड़ी, तत्पुरुष समास ।
श्वेतांबर-श्वेत है वस्त्र जिनका अर्थात ब्रह्मा, बहुव्रीहि समास ।।
(ख) तपोधन-कर्मधारय, सुबह-शाम- द्वंद्व समास, शताब्दी–दविगु समास ।
उत्तर 5. (क) (i) प्रधानाचार्या ने शिक्षिका को बुलाया ।
(ii) गाँधी जी सबसे महान थे।
(iii) माँ ने खाना पकाया ।
(iv) नलिनी गेहूँ की गर्म – गर्म रोटी खाना चाहती है।
(ख) (i) टेढ़ी अँगुली से घी निकालना
(i) आड़े हाथों लेना-डाँट-फटकार सुनाना, वाक्य-परीक्षा में कम अंक देखकर माँ ने मुझे आड़े हाथों ले लिया ।
उत्तर 6. (i) पुलिस कमिश्नर और कौंसिल के नोटिस में परस्पर विरोध था। पुलिस कमिश्नर का नोटिस, सभा और आजादी के जश्न को रोकने के लिए था। दूसरी तरफ कौंसिल के नोटिस में भारी संख्या में आकर आजादी का उत्सव मनाने के लिए लोगों का आह्वान किया गया था।
(ii) लेखक ने ‘झेन की देन’ में वर्तमान काल को अनंत काल जितना विस्तृत कहा है क्योंकि हमारा भूतकाल सत्य नहीं है, क्योंकि वह वीत चुका है। भविष्य अनिश्चित है, इसलिए उसके बारे में तनाव पालने से भी कोई लाभ नहीं होता है। वर्तमान में जीना सीखने से ही सही सुख मिलता है।
(iii) लेखक के फ्लैट में कबूतरों का एक घोंसला था जिसमें छोटे-छोटे बच्चे थे। उन्हें दाना खिलाने के लिए कबूतर दिन में कई बार आया जाया करते थे। उन कबूतरों से परेशान होकर लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली लगवानी पड़ी।
उत्तर 7. शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से की गई है। शुद्ध सोना बहुत कीमती होता है। ताँबे के साथ मिलकर यह ताँबे के महत्व को बढ़ा देता है। दूसरी ओर ताँबा सोने की कीमत को घटा देता है। शुद्ध आदर्श जब व्यावहारिकता के साथ मिलता है तो इससे व्यावहारिकता की कीमत बढ़ जाती है। व्यावहारिकता पर इसका ठीक उलटा प्रभाव पड़ता है । अत: आदर्श सोना है और व्यावहारिकता ताँबा ।।
अथवा
कथा सम्राट प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी का मुख्य पात्र बड़े भाई साहब हैं। बड़े भाई साहब परिश्रमी विद्यार्थी थे। एक ही कक्षा में तीन बार फेल हो जाने के बाद भी पढ़ाई से उन्होंने अपना नाता नहीं तोड़ा था। उनका व्यक्तित्व गंभीर तथा संयमी था । अपने छोटे भाई के सामने आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए वे खेल-कूद से दूर और अध्ययनशील बने रहते थे। बड़े भाई साहब कुशल वक्ता थे । बड़ों के लिए उनके मन में सम्मान था पैसों की फिजूलखर्ची को उचित नहीं समझते थे। इस प्रकार इस कहानी में उनका व्यक्तित्व आदर्श रूप में है।
उत्तर 8. (i) कबीर के अनुसार जो हमेशा दूसरों की निंदा करता रहता है वह निंदक होता है । वह हमारा सबसे बड़ा शुभचिंतक होता है । वह हमारी जितनी निंदा करता है हम अपनी कमियों से उतने ही दूर होते चले जाते हैं । इस प्रकार हमारी सारी कमियाँ दूर हो जाती हैं।
(ii) ‘सहस्र दृग सुमन’ से कवि का तात्पर्य है हज़ारों पुष्प रूपी आँखें । पावस ऋतु में बरसात के बाद पहाड़ पर उग आए पौधों पर असंख्य रंग-बिरंगे फूल दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है कि ये फूल पहाड़ की असंख्य आँखें हैं। इसलिए कवि ने इस पद का प्रयोग किया होगा।
(iii) आत्मत्राण’ कविता में कवि अंत में अनुनय करता है कि पूरी दुनिया मुझ पर अंगुली उठा रही हो तब भी ऐसा न हो कि मैं तुम पर कोई शक करूँ। कवि यह भी अनुरोध करता है कि कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ आ जाएँ, उसका विश्वास प्रभु पर हमेशा बना रहे ।
उत्तर 9. मीराबाई अपने पद में श्रीकृष्ण की भक्ति दास्य भाव से करना चाहती है जिससे कि श्रीकृष्ण को रात-दिन देख सके और श्याम उनके सामने ही रहें । मीरा ने अपने पद में श्रीकृष्ण के मनोहर रूप का वर्णन किया है। श्रीकृष्ण के पीले वस्त्र, मोर का मुकुट और गले में वैजयंती माला बहुत सुंदर लगती है। श्रीकृष्ण जब वृंदावन में इस रूप में गाय चराते हैं तो उनका रूप मन मोहने वाला होता है।
अथवा
‘कर चले हम फिदा’ कविता के माध्यम से कवि संदेश देना चाहता है कि मातृभूमि की सेवा सर्वोपरि है। अपने प्राणों की बाजी लगाकर भी हमें इसकी सेवा करनी चाहिए । जिस प्रकार दुल्हन की रक्षा बड़ी ही जतन से की जाती है उसी प्रकार देश की सीमा की रक्षा में कोई चूक नहीं होनी चाहिए । इसकी रक्षा के लिए जोश और उत्साह हमेशा बनाए रखना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर अंतिम साँस तक इसके मान-सम्मान के लिए। लड़ते रहना चाहिए।
उत्तर 10. हरिहर काका’ ने अपनी जायदाद के विषय में मन ही मन निश्चय कर लिया था कि वे अपने हिस्से की ज़मीन जीवित रहने तक किसी को सुपुर्द नहीं करेंगे। उन्हें पता चल गया था कि जो लोग उनके प्रति सहानुभूति दिखा रहे हैं वे ढोंग कर रहे हैं। सब के सब मतलबी और स्वार्थी हैं। जायदाद लिखाने से पहले कोई उन्हें मार भी नहीं सकता था । वे अब किसी का अहसान लेना नहीं चाहते थे न ही किसी के साथ रहना चाहते थे । अब उन्होंने अकेले रहने का निश्चय कर लिया था।
अथवा
‘सपनों के से दिन’ पाठ में वर्णित स्कूली जीवन और आज के स्कूली जीवन में बहुत अंतर है । पाठ में वर्णित स्कूली जीवन नीरस और कठोर था । बच्चों के लिए कठोर शारीरिक दंड का भी प्रावधान था । बच्चे बेचारे किताबों के बोझ से दबे रहते थे और उनके जीवन से खेल-कूद कोसों दूर था । आज का स्कूली जीवन आनंद से भरा हुआ है। बच्चों को विषयों के चयन करने की पूरी आज़ादी है। उन्हें खेलने-कूदने के लिए भी पूरा अवसर दिया जाता है। शारीरिक दंड तो अब सपने जैसी बात हो गई है। इस प्रकार आज का स्कूली जीवन उत्तम है।
खण्ड (घ)
उत्तर 11. (क) हमारा राष्ट्रीय ध्वज
भारत विविध जातियों, धर्मों और संस्कृतियों का देश है। भारत का ध्वज भी भाव प्रधान होने से अनेक रंगों में मिश्रित है। प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का राष्ट्रीय ध्वज हर राष्ट्र के गौरव का अपना एक चिह्न या प्रतीक होता है। जिसमे उसकी पहचान वनती है। ‘तिरंगा’ भारत का राष्ट्रीय ध्वज है। हमारे राष्ट्र के झंडे में तीन रंग हैं इसीलिये इसे तिरंगा कहते हैं। झंडे में तीन रंगों की पट्टियाँ हैं। जिनका आकार ममान है। झंडे के सबसे ऊपर केसरिया रंग है जो वीरता और शौर्य को प्रकट करता है। वीच का हिस्सा सफेद रंग है जो पवित्रता, त्याग भावना एवं मादगी का प्रतीक है। नीचे के भाग का हरा रंग हमारे देश की हरी-भरी धरती और संपन्नता को दर्शाता है। ध्वज की मध्य सफेद पट्टी पर अशोक चक्र बना है। नीले रंग के अशोक चक्र में 24 धारियाँ हैं । अशोक चक्र धर्म, विजय एवं प्रगति का द्योतक है। हमारी स्वतंत्रता की लड़ाई में तिरंगे की एक मुख्य भूमिका रही | 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद यह हमारा राष्ट्रीय ध्वज बना | राष्ट्रीय समारोहों एवं महत्वपूर्ण अवसरों पर एक राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। राष्ट्रीय ध्वज प्रत्येक राष्ट्र की शान होता है। राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का पावन कर्त व्य है। राष्ट्रीय ध्वज का अपमान दंडनीय अपराध है । लहराता हुआ तिरंगा प्रत्येक भारतीय को राष्ट्र-प्रेम की भावना से ओत-प्रोत कर उसे एकता, समानता और संप्रभुता के सूत्र में बाँध देता है।
(ख) फिल्मों का भारतीय समाज पर प्रभाव
फ़िल्म साहित्य का एक रूप है । साहित्य का समाज पर प्रत्यक्ष प्रभाव होता है । प्रारंभ से ही फिल्मों का भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव रहा है। फ़िल्मों के नायक-नायिकाओं के रहन-सहन को भारतीय समाज तुरंत अपना लेता है। विशेषतः युवा-पीढ़ी पर फिल्मों का अधिक प्रभाव पड़ता है। जीवन के कर्म-क्षेत्र की भाग-दौड़ के चलते मनुष्य को मनोरंजन की भी आवश्यकता होती है ताकि वह कुछ समय के लिए मानसिक शांति एवं प्रसन्नता का अनुभव करने के उपरांत पुन: उत्साह से अपने कार्य-क्षेत्र में परिश्रम कर सके । मनुष्य के मनोरंजन के लिए फिल्म (चल-चित्र) एक सस्ता और सुलभ साधन है। मनोरंजन के अन्य साधनों की तुलना में फिल्म अधिक लोकप्रिय है। यही कारण है कि फिल्मों का समाज पर सीधा प्रभाव पड़ता है। सामाजिक फिल्मों में समाज को दिशा देने का प्रयत्न किया जाता था। बाद में गीत-संगीत के आगमन से फिल्म मनोरंजन का । एक माध्यम बन गया । सिनेमा की कथाओं में बाल-विवाह, दहेज आदि सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार किया जाता था और रोचक घटनाओं के द्वारा समाज को जात-पांत के भेद-भाव को मिटाने का संदेश दिया जाता था । वस्तुत: सिनेमा के संदेश को भारतीय समाज शीघ्र ग्रहण कर लेता है । अत: आवश्यकता स्वस्थ मनोरंजन की है जिससे भारतीय समाज भी स्वस्थ हो सके।
(ग) ऋतुओं का देश-भारत
भारतवर्ष को ऋतुओं का देश कहा जाता है। मौसम की जितनी विविधता भारत में है अन्यत्र दुर्लभ है । इस देश के बारह महीनों में छह ऋतुओं से हम परिचित हैं। ये ऋतुएँ अलग-सा अनुभव प्रदान कर हमारे जीवन को रसमय बनाती हैं। ज्येष्ठ आषाढ़ का महीना ग्रीष्म ऋतु के आगमन का सूचक है। इस महीने में सूरज अपना प्रचण्ड रूप दिखाता है। सूर्य की तीव्र आक्रमण से राहत वर्षा ऋतु में मिलती है। श्रावण भाद्रपद में वर्षा ऋतु अपनी निराली छवि दिखाती है। आकाश काले घने बादलों से घिर जाता है। वर्षा काल अभिनंदनीय होता है। शरद् ऋतु आश्विन कार्तिक के महीनों में अपने स्वच्छ निर्मल रूप से प्रवेश करता है। शरदकालीन आकाश बिलकुल साफ़ दिखता है। दशहरा और दीपावली इस ऋतु के प्रमुख त्योहार हैं। शरद ऋतु का मौसम अधिक सुखदायक होता है । मार्गशीर्ष से पौष तक हेमंत ऋतु का आधिक्य रहता है। आयुर्वेद इस ऋतु को स्वस्थ ऋतु मानता है। घूमने फिरने के लिए यह मौसम बहुत अनुकूल परिस्थिति प्रदान करता है। धीरे से शिशिर का संकेत कर हेमंत अपने अगले अध्याय की प्रतीक्षा में लुप्त हो जाता है । ऋतुओं में अंतिम ऋतु माघ फाल्गुन में पड़ने वाला शिशिर ऋतु है। शिशिर ऋतु अपने मिश्रित गुणों के कारण वन्दनीय है। अधिकतर देह रोग मुक्त रहता है । शीत ऋतु में दिन छोटे व रात लंबी होती है। क्रिसमस इस मौसम का विशिष्ट त्योहार है। शिशिर अपने अंतिम चरण में संक्रांति पर्व के साथ उत्तरायण में विलीन पुनः अपनी आगमन की प्रतीक्षा में सो जाता है । वस्तुतः ये ऋतुएँ अपनी अनोखी रूप रेखा से मानव को हमेशा जीवंत बनाए रखती हैं।
उत्तर 12. सेवा में
थाना अध्यक्ष महोदय,
अ • ब• स• जिला,
अ • ब• स• नगर ।
दिनांक: 20 मई, 20xx
विषय: बस संचालक की शिकायत करते हुए पत्र।।
मान्यवर,
निवेदन है कि विगत सप्ताह के सोमवार को मैं नगर बस सेवा के द्वारा सैक्टर 5 से सैक्टर 25 जा रहा था। अचानक संज्ञान में आया कि मेरे साथी के बैग से कुछ सामान गायब हो गया है ।
बस संचालक से शिकायत करने पर उसने उचित कार्यवाही न करके बात को टाल देने का प्रयास किया गया । संचालक के इस व्यवहार से हम सब काफी दुखी हैं।
अतः आपसे नम्र निवेदन है कि इस घटना को शीघ्र ही संज्ञान में लेते हुए त्वरित कार्यवाही करने का आदेश दें ताकि सभी लोग अमन-चैन से यात्रा कर सकें।
इसके लिए हम सब आपके आभारी रहेंगे।
धन्यवाद !
भवदीय
अ • ब• स•
अ • ब• स• मोहल्ला,
अ • ब• स• नगर ।
अथवा
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
अ. ब. स. विद्यालय,
अ. ब. स. नगर ।
दिनांक: 20 जून 20xx
विषय-मित्र को पुरस्कृत करने के सम्बन्ध में प्रार्थना-पत्र
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं कक्षा दस ‘अ’ का छात्र हैं। हमारे विद्यालय की वार्षिक परीक्षा में मेरे मित्र रमण ने सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त किये हैं। इससे इस विद्यालय का नाम नगर के प्रतिष्ठित विद्यालयों में सम्मिलित हो गया है । महोदय, प्रार्थना है कि यदि विद्यालय की ओर से वार्षिकोत्सव के अवसर पर पुरस्कृत किया जाता तो उसके उत्साह में वृद्धि हो जाती।
आपसे प्रार्थना है कि आप शीघ्र ही उचित व्यवस्था करने का आदेश दें ताकि हम सबको इससे प्रोत्साहन मिल सके।
हम सब इसके लिए आपके आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद !
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
अ• ब• स,
कक्षा – दस ‘अ’
उत्तर 13.
उत्तर 14.
महेश : मुकेश, तुम्हारा मनपसंद हीरो कौन है? ।
मुकेश : मैं तो अपना आदर्श अभिताभ बच्चन को मानता हूँ।
महेश : हाँ मित्र, श्री बच्चन तो सबके आदर्श हैं।
मुकेश : सही बोलते हो। उनकी अभिनय कला का आज भी अतुलनीय है।
महेश : केवल अभिनय कला ही नहीं, उनका व्यवहार भी बहुत विनम्र है।
मुकेश : क्या, तुम्हें कभी उनसे मिलने का अवसर मिला था?
महेश : हाँ, एक बार के.बी.सी में मैं भाग लेने गया था तो मुझे उनसे मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। बहुत ही आनंद आया था। मेरा तो जीवन धन्य हो गया।
मुकेश : वास्तव में उनसे मिलने का अवसर पाना बहुत ही आनंद का विषय है।
अथवा
अभिभावक : नमस्ते! अध्यापिका जी। इस बार की परीक्षा में मेरे बच्चे के कम अंक आने का कारण क्या हो सकता है?
अध्यापिका : नमस्ते! हो सकता है बच्चे ने मेहनत कम की हो।
अभिभावक : नहीं, मेरे बच्चे ने मेहनत तो पूरी की थी। हो सकता है पाठ्यक्रम ही कठिन हो।
अध्यापिका : नहीं पाठ्यक्रम तो सभी बच्चे के लिए समान था। कुछ बच्चों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। अभ्यास की कमी हो सकती है। आपने भी समय पर ध्यान नहीं दिया होगा।
अभिभावक : धन्यवाद! हाँ यह हो सकता है। आगे से मैं ध्यान रखेंगी।
अध्यापिका : जी, धन्यवाद!
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