NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 1 Data: Its Source and Compilation (Hindi Medium)
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प्रश्न अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से)
प्र० 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए।
(i) एक संख्या अथवा लक्षण को जो मापन को प्रदर्शित करता है, करते हैं
(क) अंक
(ख) आँकड़े
(ग) संख्या
(घ) लक्षण
(ii) एकल आधार सामग्री एक मात्र माप है।
(क) तालिका
(ख) आवृत्ति
(ग) वास्तविक संसार
(घ) सूचना
(iii) एक मिलान चिह्न में, फोर एंड क्रासिंग फिफ्थ द्वारा समूहीकरण को कहते हैं
(क) फोर एंड क्रास विधि
(ख) मिलान चिह्न विधि
(ग) आवृत्ति अंकित विधि
(घ) समावेश विधि
(iv) ओजाइव एक विधि है जिसमें
(क) साधारण आवृत्ति नापी जाती है।
(ख) संचयी आवृत्ति नापी जाती है।
(ग) साधारण आवृत्ति अंकित की जाती है।
(घ) संचयी आवृत्ति अंकित की जाती है।
(v) यदि वर्ग के दोनों अंत आवृत्ति समूह में लिए गए हों, इसे कहते हैं।
(क) बहिष्कार विधि
(ख) समावेश विधि
(ग) चिह्न विधि
(घ) सांख्यिकीय विधि
उत्तर:
(i) (ख) आंकड़े
(ii) (ग) वास्तविक संसार को मापने की।
(iii) (क) तथा (ख) दोनों फोर एंड क्रांस विधि (इंगलिश), मिलान चिह्न विधि (हिंदी)
(iv) (घ) संचयी आवृत्ति अंकित की जाती है।
(v) (ख) समावेश विधि
प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए|
(i) आंकड़ा और सूचना के बीच अंतर बताइए।
उत्तर: आंकड़ा, संख्यात्मक सूचना को कहते हैं। लेकिन प्रत्येक सूचना संख्यात्मक हो यह आवश्यक नहीं है। क्योंकि सूचना-गुणात्मक, मात्रात्मक अथवा विवरणात्मक भी हो सकती है।
(ii) आंकड़ों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: भौगोलिक परिघटनाओं, मानवीय क्रियाओं तथा उनके बीच अंतर्संबंधों का संख्यात्मक अथवी मात्रात्मक मापन आंकड़े कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में संख्यात्मक सूचनाएँ आंकड़े कहलाती हैं।
(iii) एक तालिका में पाद टिप्पणी से क्या लाभ है?
उत्तर: किसी भी तालिका के नीचे तालिका में प्रयुक्त आंकड़ों से संबंधित आवश्यक सूचना (foot note) लिखी जाती है। तथा तारे (*) का चिह्न लगाकर स्रोत की जानकारी दी जाती है।
(iv) आंकड़ों के प्राथमिक स्रोतों से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर: जो आंकडे पहली बार व्यक्तिगत रूप से अथवा व्यक्तियों के समूह द्वारा, किसी संस्था या संगठन द्वारा एकत्रित किए।
जाते हैं, उन्हें ‘आंकड़ों के प्राथमिक स्रोत’ कहते हैं।
(v) द्वितीयक आंकड़ों के पाँच स्रोत बताइए।
उत्तर: जो आंकड़े किसी प्रकाशित अथवा अप्रकाशित साधनों या स्रोतों जैसे-सरकारी, अर्धसरकारी, अंतर्राष्ट्रीय, निजी प्रकाशन, समाचार पत्र, गैर सरकारी प्रलेखों द्वारा एकत्र किए जाते हैं, उन्हें द्वितीयक स्रोत कहते हैं। भारतीय योजना आयोग, भारत का जनगणना विभाग, भारतीय सर्वेक्षण विभाग, कृषि विभाग। प्रतिवर्ष अनेक प्रकार के आंकड़ों को प्रकाशित करते हैं।
(vi) आवृत्ति वर्गीकरण की अपवर्ती विधी क्या है?
उत्तर: आवृत्ति वर्गीकरण की अपवर्ती विधि में एक वर्ग की उच्च सीमा अगले वर्ग की निम्न सीमा होती है। जैसे – (10 – 20) वर्ग की उच्च सीमा-20 है लेकिन अगले वर्ग (20-30) में यही 20 निम्न सीमा पर है। अतः 20 को निम्न सीमा | पर प्रदर्शित किया जाता है न कि उच्च सीमा पर। इसलिए इस विधि को अपवर्ती विधि कहते हैं।
प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए।
(i) राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों की चर्चा कीजिए जहाँ से द्वितीयक आंकड़े एकत्र किए जा सकते हैं।
उत्तर: सरकारी संस्थानों से – भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों व विभागों; राज्य सरकारों के प्रकाशन और जिलों के बुलेटिन द्वितीयक सूचनाओं के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इनके अंतर्गत भारत के महापंजीयक कार्यालय द्वारा प्रकाशित भारत की जनगणना, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण की रिपोर्ट, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की मौसम रिपोर्ट, राज्य सरकारों द्व रारा प्रकाशित सांख्यिकीय सारांश और विभिन्न आयोगों द्वारा प्रकाशित आवधिक रिपोर्ट सम्मिलित की जाती है।
अर्ध सरकारी संस्थान – इस श्रेणी में नगर विकास प्राधिकरणों विभिन्न नगर निगमों, नगर पालिकाओं व जिला परिषदों द्वारा जारी आंकड़े होते हैं जो विभिन्न प्रकाशनों व रिपोर्टों के माध्यम से प्राप्त होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय अभिकरण-अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशनों में वार्षिक रिपोर्ट होती हैं। संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अभिकरणों जैसे-संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (UNESCO), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), खाद्य एवं कृषि परिषद (FAO), आदि द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट और मोनोग्राफ शामिल किए जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित आवधिक प्रकाशन जैसे-डैमोग्राफिक इयर बुक, स्टेटिस्टीकल इयर बुक तथा मानव विकास रिपोर्ट आदि। अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट द्वितीयक आंकड़ों के एकत्रिकरण के प्रमुख स्रोत हैं।
(ii) सूचकांक का क्या महत्व है। सूचकांक को परिकलन को प्रक्रिया को बताने के लिए एक उदाहरण लीजिए और परिवर्तनों को दिखाइए।
उत्तर: सूचकांक एक सांख्यिकीय माप है जिसका उपयोग समय के संदर्भ में विभिन्न चरों में हुए परिवर्तनों को उनकी भौगोलिक स्थिति तथा दूसरी विशेषताओं के आधार पर, मापने के लिए परिकलित किया जाता है। स्मरण रहे कि सूचकांक न केवल समय के साथ हुए परिवर्तनों की माप करता है बल्कि विभिन्न स्थानों, नगरों, देशों में हो रहे विभिन्न क्रियाकलापों, जनसंख्या संबंधि परिवर्तनों, व्यवसायिक गतिविधियों में हो रहे विकास व वृद्धि का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करता है। इसलिए सूचकांक का व्यापक उपयोग अर्थशास्त्र, व्यवसाय में लागत व मात्रा में आए परिवर्तनों को देखने के लिए होता है। सूचकांक परिकलन की विभिन्न विधियों में साधारण समुच्च विधि सबसे अधिक उपयोग में लाई जाती है। इसे निम्नलिखित सूत्र से ज्ञात करते हैं।
साधारणतया आधार वर्ष का मूल्य 100 के बराबर माना जाता है और उसी के आधार पर सूचकांक की गणना की जाती है। जैसे – दी गई सारणी में आधार वर्ष 1980-81 को माना गया है।
सारणी-भारत में लौह अयस्क के उत्पादन में हुए परिवर्तन को दर्शाया गया है।
स्रोत – भारत-आर्थिक सर्वेक्षण, 2005
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