NCERT Solutions for Class 7 Social Science Civics Chapter 5 Women Change The World (Hindi Medium)
These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 7 Social Science in Hindi Medium. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Social Science Civics Chapter 5 Women Change The World.
पाठगत प्रश्न
1. किस प्रकार के व्यवसायों में स्त्रियों की अपेक्षा पुरुष अधिक हैं? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-55)
उत्तर : पुलिस, सेना, ड्राइवर, पेट्रोल पंप के कर्मचारी, रेलवे व वायुयान के पायलट, व्यापार, किसान, वैज्ञानिक, औद्योगिक मजदूर आदि व्यवसायों में स्त्रियों की अपेक्षा पुरुष अधिक हैं।
2. नर्स के काम में महिलाओं की संख्या अधिक क्यों है? । (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-55)
उत्तर : महिलाएँ अच्छी नर्से हो सकती हैं, क्योंकि वे अधिक सहनशील और विनम्र होती हैं। इसे परिवार में स्त्रियों की भूमिका के साथ मिलाकर देखा जाता है। रोगियों को जो रोग से पीड़ित हैं, उन्हें घर जैसा स्नेह मिलना चाहिए, जो कि नर्स के रूप में महिलाओं में मौजूद होता है।
3. महिला किसानों की संख्या पुरुषों की तुलनात्मक रूप से कम है? यदि हैं, तो क्यों? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-55)
उत्तर : किसानों की खेती का काम कठिन होता है; जैसे-हल चलाना, कुदाल चलाना, बोझा ढोना आदि। इन कामों को महिलाओं की अपेक्षा पुरुष आसानी से कर पाते हैं। महिलाओं को इन कामों में मुश्किल होती है, क्योंकि महिलाओं का शरीर पुरुषों की अपेक्षा नाजुक होता है। इसलिए महिला किसानों की संख्या पुरुषों की तुलना में कम है।
4. पुस्तक के वाक्यांशों के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(क) यदि आप जेवियर होते तो कौन-से विषय चुनते? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-58)
(ख) अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि लड़कों को ऐसे किन-किन दबावों का सामना करना पड़ता है? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-58)
उत्तर :
(क) यदि हम जेवियर होते तो इतिहास विषय को ही चुनते, क्योंकि कोई भी विषय खराब नहीं होता। अपनी किसी भी विषय के प्रति दिलचस्पी होनी चाहिए। किसी भी विषय को दिलचस्पी से पढ़कर अव्वल । नम्बर लाया जा सकता है और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ा जा सकता है।
उत्तर : (ख) लड़कों को निम्न दबावों का सामना करना पड़ता है
- माता-पिता के अनुरूप परीक्षा में अंक लाने का दबाव।
- कई बार लड़कों को अपने इच्छा के विरुद्ध विषय का चुनाव करने का दबाव।
- लड़कों पर एक अच्छी नौकरी हासिल करने का दबाव।
5. माध्यमिक स्तर पर कितने बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-62)
उत्तर : माध्यमिक स्तर पर लगभग 52 प्रतिशत बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं, जिनमें 57 प्रतिशत अनुसूचित जाति के | लड़के, 69 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लड़के शामिल हैं तथा 62 प्रतिशत अनुसूचित जाति की लड़कियाँ और 71 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की लड़कियाँ स्कूल बीच में ही छोड़ देती हैं।
6. शिक्षा के किस स्तर पर आपको सर्वाधिक बच्चे स्कूल छोड़ते हुए दिखाई देते हैं? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-62)
उत्तर : शिक्षा के उच्च माध्यमिक स्तर पर हमको सर्वाधिक बच्चे स्कूल छोड़ते हुए दिखाई देते हैं। उच्च माध्यमिक | स्तर पर लगभग 63 प्रतिशत बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं, जिसमें 71 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लड़के, 78 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लड़के, 76 प्रतिशत अनुसूचित जाति की लड़कियाँ, 81 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की लड़कियाँ स्कूल छोड़ देती हैं।
7. आपके विचार में अन्य सभी वर्गों की तुलना में, आदिवासी लड़के-लड़कियों की विद्यालय छोड़ने की दर अधिक क्यों है? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-62)
उत्तर : अन्य सभी वर्गों की तुलना में आदिवासी लड़के-लड़कियों के विद्यालय छोड़ने के कारण
- आदिवासी वाले क्षेत्रों जो कि मुख्यत: जंगली क्षेत्र होते हैं, वहाँ पर स्कूलों की संख्या काफी कम है, इसलिए इन क्षेत्रों के आदिवासी लड़के-लड़कियों को पढ़ने के लिए काफी दूर-दूर तक जाना पड़ता है, जिससे इन आदिवासी लड़के-लड़कियों को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
- आदिवासी लोगों में गरीबी काफी अधिक है, इसलिए कुछ बच्चे पढ़ाई छोड़कर ही कमाने लग जाते हैं। कुछ जनजातीय लोग पढ़ाई का खर्च नहीं उठा पाते, जबकि वर्तमान समय में सरकार ने बच्चों की किताबें मुफ्त, स्कूल ड्रेस के लिए पैसे, मध्याह्न के समय भोजन प्रबंध तक कर दिया है। इसके बावजूद पढ़ाई के छोटे-मोटे खर्चे भी आदिवासी लोग नहीं उठा पाते।
8. प्राथमिक कक्षाओं में स्कूल छोड़ देने वाले बच्चों के आँकड़ों के आधार पर एक दंडारेख बनाएँ। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-63)
प्रश्न-अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से
1. आपके विचार से महिलाओं के बारे में प्रचलित रूढ़िवादी धारणा कि वे क्या कर सकती हैं और क्या नहीं, उनके समानता के अधिकार को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर : हमारे विचार में महिलाओं के बारे में प्रचलित रूढ़िवादी धारणा उनके समानता के अधिकार को निम्न प्रकार से प्रभावित करती हैं
- अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लड़कियाँ उतनी ही शिक्षा प्राप्त कर पाती हैं जितनी सुविधा उनके गाँव में उपलब्ध होती है। उन्हें प्रायः आगे की शिक्षा प्राप्त करने दूसरे गाँव अथवा शहर नहीं भेजा जाता है।
- अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी पूँघट प्रथा, लड़कियों की कम उम्र में शादी करना, लड़कियों को चारदीवारी तक सीमित रखना आदि प्रथा प्रचलित है। अधिकांश परिवारों में लड़कियों के स्कूली शिक्षा पूरी हो जाने के बाद उनकी शादी कर दी जाती है।
- अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में या अशिक्षित परिवारों या रूढ़िवादी परिवारों में लड़कियों को पराया धन मानकर परवरिश की जाती है और लड़कों को वंश चलाने वाला माना जाता है, इसलिए उनकी परवरिश लड़कियों से बेहतर की जाती है।
- अधिकांश लोग अभी भी यह मानते हैं कि लड़कियों का मुख्य कार्य भावी परिवार के उत्तरदायित्व को निभाना है, जिसके लिए उच्च शिक्षा के स्थान पर अन्य कार्यों; जैसे-पाककला, सिलाई-बुनाई आदि की अधिक आवश्यकता होती है।
2. कोई एक कारण बताइए जिसकी वजह से राससुंदरी देवी, रमाबाई और रुकैया हुसैन के लिए अक्षर ज्ञान इतना महत्त्वपूर्ण था।
उत्तर : राससुंदरी देवी, रमाबाई और रुकैया हुसैन के लिए अक्षर ज्ञान इसलिए महत्त्वपूर्ण था, क्योंकि तीनों पढ़ाई और अक्षर ज्ञान के लिए काफी उत्सुक थीं और ये तीनों धनी परिवार से संबंधित थीं, जिसके कारण उनके लिए। यह सब संभव हो सका|
3. “निर्धन बालिकाएँ पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं, क्योंकि शिक्षा में उनकी रुचि नहीं है।” पृष्ठ 17 पर दिए गए अनुच्छेद को पढ़ कर स्पष्ट कीजिए कि यह कथन सही क्यों नहीं है?
उत्तर : यह कथन सत्य नहीं है, क्योंकि निर्धन बालिकाएँ पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं, इसका कारण उनकी रुचि न होना नहीं है, बल्कि दूसरे अनेक कारण हैं|
- दलित, आदिवासी और मुस्लिम वर्ग की लड़कियों के स्कूल छोड़ देने के अनेक कारण हैं। देश के अनेक भागों में विशेषकर ग्रामीण और गरीब क्षेत्रों में नियमित रूप से पढ़ाने के लिए न उचित स्कूल हैं न ही शिक्षक। यदि विद्यालय घर के पास नहीं हो और लाने-ले जाने के लिए किसी साधन जैसे बस या वैन आदि की व्यवस्था न हो तो अभिभावक लड़कियों को स्कूल नहीं भेजना चाहते।
- कुछ परिवार अत्यंत निर्धन होते हैं और अपने सभी बच्चों को पढ़ाने का खर्चा नहीं उठा पाते हैं। ऐसी स्थिति में लड़कों को प्राथमिकता मिलती है और लड़कियों को नहीं पढ़ाया जाता।
- बहुत से बच्चे इसलिए भी स्कूल छोड़ देते हैं, क्योंकि उनके साथ उनके शिक्षक और सहपाठी भेदभाव करते हैं।
4. क्या आप महिला आंदोलन द्वारा व्यवहार में लाए जाने वाले संघर्ष के दो तरीकों के बारे में बता सकते हैं? महिलाएँ क्या कर सकती हैं और क्या नहीं, इस विषय पर आपको रूढ़ियों के विरुद्ध संघर्ष करना पड़े, तो आप पढ़े हुए तरीकों में से कौन-से तरीकों का उपयोग करेंगे? आप इसी विशेष तरीके का उपयोग क्यों करेंगे?
उत्तर : संघर्ष के दो प्रमुख तरीके
- औरतों के अधिकारों के संबंधों में समाज में जागरूकता बढ़ाना।
- भेदभाव और हिंसा का विरोध करना।
यदि हमें रूढ़ियों के विरुद्ध संघर्ष करना पड़े तो हम प्रयास करेंगे कि समाज में औरतों के अधिकारों के संबंध में जागरूकता फैलाया जाए। लोगों को यह बतलाया जाए कि महिलाएँ भी समाज के अंग हैं और महिलाओं के विकास से ही परिवार और समाज का विकास हो सकता है। समाज को यह बतलाया जाए कि हमारे पूर्वज पढ़े-लिखे नहीं थे, इसलिए उनके अन्दर महिलाओं को लेकर संकीर्ण मानसिकता थी। अब हम संकीर्ण मानसिकता को छोड़कर महिलाओं से होने वाले भेदभाव को त्याग करें और एक आदर्श समाज का निर्माण करें।
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