NCERT Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 6 Towns, Traders and Craftpersons (Hindi Medium)
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पाठगत प्रश्न
1. आपके मत से लोग तंजावूर को एक महान नगर क्यों मानते थे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-76)
उत्तर तंजावूर चोल राजाओं की राजधानी थी। वर्ष में बारहों महीने बहने वाली कावेरी नदी इस सुंदर नगर के पास बहती है। इस नगर में सुंदर और भव्य कई ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण हो चुका था। इस नगर में मंदिर के अलावा अनेक राजमहल हैं, जिनमें कई मंडप बने हुए हैं। राजा लोग इन मंडपों में अपना दरबार लगाते थे। नगरे उन बाज़ारों की हलचल से भरा हुआ था। तंजावूर एक मंदिर नगर का भी उदाहरण है। मंदिर नगर नगरीकरण का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण प्रतिरूप प्रस्तुत करते हैं।
2. आपके विचार से इस प्रविधि के प्रयोग (लुप्तमोम तकनीक) के क्या-क्या लाभ थे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-77)
उत्तर ‘लुप्तमोम’ तकनीक के अन्तर्गत सर्वप्रथम मोम की एक प्रतिमा बनाई जाती थी। इसे चिकनी मिट्टी से पूरी तरह लीपकर सूखने के लिए छोड़ दिया जाता था। जब वह पूरी तरह सूख जाती थी, तो उसे गर्म किया जाता था और उसके मिट्टी के आवरण में एक छोटा-सा छेद बनाकर उसे छेद के रास्ते सारा पिघला हुआ मोम बाहर निकाल दिया जाता था, फिर चिकनी मिट्टी के खाली साँचे में उसी छेद के रास्ते पिघली हुई धातु । भर दी जाती थी। जब वह धात् ठंडी होकर ठोस हो जाती थी, तो चिकनी मिट्टी के आवरण को सावधानीपूर्वक हटा दिया जाता था।
इस विधि से किसी भी प्रतिमा को सस्ता और सुंदर बनाया जाता था तथा इस प्रतिमा में काफ़ी चमक भी होती थी। प्रतिमा मिट्टी और मोम से बने होने के बावजूद भी काफ़ी मजबूत होती थी।
3. आज बाज़ार पर लगने वाले करों के बारे में कुछ और जानकारी प्राप्त करें। इन्हें कौन इकट्ठा करता है, वे किस प्रकार वसूल किए जाते हैं और उनका प्रयोग किस काम के लिए होता है? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-79)
उत्तर बाज़ार में लगने वाले कर बिक्री हैं, इन्हें सरकार के आयकर विभाग के अधिकारी और कर्मचारी वसूल करते हैं। ये कर विक्रेताओं से वसूल किए जाते हैं। इन करों का प्रयोग प्रशासनिक कार्यों, विकास कार्यों और लोक कल्याणकारी कार्य के लिए किया जाता है।
4. आपके विचार से हम्पी नगर किलेबंद क्यों था? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-83)
उत्तर हम्पी नगर विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी। विजयनगर साम्राज्य की राजधानी होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से इस नगर को किलेबंद किया गया था, जिससे कि यह नगर बाहरी आक्रमण से सुरक्षित रह सके।
5. अंग्रेज़ों और हॉलैंडवासियों ने मसूलीपट्टनम में अपनी बस्तियाँ बसाने का निर्णय क्यों लिया? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-85)
उत्तर मसूलीपट्टनम समुद्र के किनारे बसा हुआ है। पहले यहाँ पर मछुआरे रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे व्यापारी लोग भी यहाँ रहने लगे। व्यापारी लोगों का दूसरे देशों से व्यापार होता रहता था। यहाँ पर इंग्लैण्ड तथा हॉलैंड के निवासी आते-जाते रहते थे और वे यहाँ पर रुकते भी थे। इस स्थान पर जहाजों के लिए लंगर डालने की | व्यवस्था हो गयी थी। व्यापारिक सुविधाओं के कारण ही अंग्रेज़ों और हॉलैंडवासियों ने मसूलीपट्टनम में अपनी बस्तियाँ बसाने का निर्णय लिया।
प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)
फिर से याद करें
1. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
(क) राजराजेश्वर मंदिर …………………. में बनाया गया था।
(ख) अजमेर सूफ़ी संत ……………… से संबंधित है।
(ग) हम्पी ……………….. साम्राज्य की राजधानी थी।
(घ) हॉलैंडवासियों ने आंध्र प्रदेश में ………………………….. पर अपनी बस्ती बसाई।
उत्तर
(क) ग्यारहवीं सदी में
(ख) ख्वाजा मुइनुउद्दीन चिश्ती
(ग) विजयनगर
(घ) मसूलीपट्टनम।
2. बताएँ क्या सही है और क्या गलत :
(क) हम राजराजेश्वर मंदिर के मूर्तिकार (स्थपति) का नाम एक शिलालेख से जानते हैं।
(ख) सौदागर लोग काफ़िलों में यात्रा करने की बजाय अकेले यात्रा करना अधिक पसंद करते थे।
(ग) काबुल हाथियों के व्यापार का मुख्य केंद्र था।
(घ) सूरत बंगाल की खाड़ी पर स्थित एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक पत्तन था।
उत्तर
(क) सही
(ख) गलत
(ग) गलत
(घ) गलत।
3. तंजावूर नगर को जल की आपूर्ति कैसे की जाती थी?
उत्तर तंजावूर नगर को जल की आपूर्ति कुँओं और तालाबों द्वारा की जाती थी।
4. मद्रास जैसे बड़े नगरों में स्थित ‘ब्लैक टाउन्स’ में कौन रहता था?
उत्तर ब्लैक टाउन्स में भारतीय व्यापारी, शिल्पकार, औद्योगिक मजदूर एवं अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूर तथा कर्मचारी रहा करते थे।
आइए समझें
5. आपके विचार से मंदिरों के आस-पास नगर क्यों विकसित हए?
उत्तर मंदिरों के आस-पास नगरों के विकसित होने के कारण
- मंदिर के कर्ता-धर्ता मंदिर के धन को व्यापार एवं साहूकारी में लगाते थे।
- शनैः शनैः समय के साथ बड़ी संख्या में पुरोहित-पुजारी, कामगार, शिल्पी, व्यापारी आदि मंदिर तथा उसके | दर्शनार्थियों एवं तीर्थयात्रियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मंदिर के आस-पास बसते गए।
- मंदिर के दर्शनार्थी भी दान दक्षिण दिया करते थे तथा राजा द्वारा भी भूमि एवं धन अनुदान में दिए जाते थे, इससे मंदिर के पुजारियों की आजीविका चलती थी।
- तीर्थयात्रियों तथा पुरोहित पंडितों को मंदिर प्रशासन द्वारा भोजन कराया जाता था, जिससे मंदिर के पास साधु-संत और पुरोहित-पंडितों को आवास स्थान बन गया था।
6. मंदिरों के निर्माण तथा उनके रख-रखाव के लिए शिल्पीजन कितने महत्त्वपूर्ण थे?
उत्तर मंदिरों के निर्माण तथा उनके रख-रखाव के लिए शिल्पीजन निम्न कारणों से महत्त्वपूर्ण थे|
- मंदिरों के निर्माण के लिए शिल्पी काफ़ी महत्त्वपूर्ण थे-शिल्पियों में सुनार, कसेरे, लोहार, राजमिस्त्री और बढ़ई शामिल थे।
- शिल्पकार मंदिरों को सुंदर बनाने में काफ़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। शिल्पकार ही मंदिरों के विभिन्न भागों को निर्मित करते थे।
- मंदिरों को कलात्मक रूप से सजाने का कार्य शिल्पकार ही करते थे।
7. लोग दूर-दूर के देशों-प्रदेशों से सूरत क्यों आते थे?
उत्तर सूरत नगर में लोगों के दूर-दूर प्रदेशों से आने के कारण
- सूरत अरब सागर के तट पर स्थित एक बन्दरगाह नगर था, जहाँ से पश्चिमी एशिया के देशों से व्यापार होता था।
- सूरत को मक्का का प्रस्थान द्वार भी कहा जाता था, क्योंकि बहुत से हज यात्री जहाज से यहीं से रवाना होते थे।
- सूरत शिल्प उद्योग का प्रमुख केन्द्र था, जिससे काफ़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला हुआ था।
- सूरत एक व्यापारिक नगर था, जहाँ पर कई वस्तुओं के थोक और फुटकर बाज़ार थे।
8. कलकत्ता जैसे नगरों में शिल्प उत्पादन तंजावूर जैसे नगरों के शिल्प उत्पादन से किस प्रकार भिन्न था ?
उत्तर तंजावूर कलकत्ता से पहले का विकसित नगर है, इसलिए तंजावूर में शिल्प का उत्पादन कलकत्ता से पहले शुरू हो गया था। दोनों नगरों के शिल्प उत्पादन में काफ़ी भिन्नता थी|
- कलकत्ता में मुख्यत: शिल्प उत्पादन सूती, रेशमी व जूट उत्पादन तक सीमित था।
- तंजावूर में सूती वस्त्रों के अतिरिक्त कांस्य मूर्तियों, धातु के दीपदान, मंदिरों के घंटे, आभूषणों आदि का निर्माण बड़े पैमाने पर होता था, क्योंकि तंजावूर एक मंदिर नगर था।
आइए विचार करें
9. इस अध्याय में वर्णित किसी एक नगर की तुलना आप, अपने परिचित किसी कस्बे या गाँव से करें। क्या दोनों के बीच कोई समानता या अंतर हैं?
उत्तर सूरत (नगर) और टेकारी (कस्बा) की तुलना
10. सौदागरों को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता था? आपके विचार से क्या वैसी कुछ समस्याएँ आज भी बनी हुई हैं?
उत्तर सौदागरों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता था।
- व्यापारियों को अनेक राज्यों तथा जंगलों में से होकर गुजरना पड़ता था, इसलिए वे आमतौर पर काफिले बनाकर एक साथ यात्रा करते थे।
- सौदागर अपने हितों की रक्षा के लिए व्यापार संघ (गिल्ड) बनाते थे।
- उन्हें विभिन्न प्रकार के कर चुकाने पड़ते थे।
- प्राचीन व मध्यकाल में यातायात के रूप में बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी, नावें आदि प्रमुख थे। अर्थात् यातायात के साधन भी पर्याप्त मात्रा में नहीं थे।
वर्तमान समय में भी सौदागरों को व्यापार संघ बनाने पड़ते हैं। उन्हें विभिन्न कर चुकाने पड़ते हैं तथा व्यापार के लिए दूर-दूर तक यात्राएँ करनी पड़ती हैं।
आइए करके देखें
11. तंजावूर या हम्पी के वास्तुशिल्प के बारे में कुछ और जानकारी प्राप्त करें और इन नगरों के मंदिरों तथा अन्य भवनों के चित्रों की सहायता से एक स्क्रैपबुक तैयार करें।
उत्तर छात्र स्वयं करें।
12. किसी वर्तमान तीर्थस्थान का पता लगाएँ। बताएँ कि लोग वहाँ क्यों जाते हैं, वहाँ क्या करते हैं, क्या उस केंद्र के आस-पास दुकानें हैं और वहाँ क्या खरीदा और बेचा जाता है?
उत्तर छात्र स्वयं करें।
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