NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 6 प्रेमचंद के फटे जूते
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प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)
प्रश्न 1.
हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे | प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?
उत्तर:
लेखक ने प्रेमचंद का जो शब्द-चित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे उनके व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ सामने आती हैं
- सादा जीवन-प्रेमचंद आडंबर तथा दिखावापूर्ण जीवन से दूर रहते थे। वे गाँधी जी की तरह सादा जीवन जीते थे।
- उच्च विचार-प्रेमचंद के विचार बहुत ही उच्च थे। वे सामाजिक बुराइयों से दूर रहे। वे इन बुराइयों से समझौता न कर सके।
- स्वाभिमानी-प्रेमचंद ने दूसरों की वस्तुओं को माँगना उचित नहीं समझा। वे अपनी दीन-हीन दशा में संतुष्ट थे।
- सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने वाले-प्रेमचंद ने समाज में व्याप्त कुरीतियों के प्रति सावधान किया। वे एक स्वस्थ समाज चाहते थे तथा स्वयं भी बुराइयों से कोसों दूर रहने वाले थे।
- अपनी स्थिति से संतुष्ट-प्रेमचंद का जीवन सदा ही अभावों में बीता। उन्होंने अपनी स्थिति दूसरों से छिपाए रखी। वे जैसे भी थे उसी में खुश रहने वाले थे।
- संघर्षशील-वे रास्ते में आने वाली मुसीबतों से बचकर नहीं निकलते थे बल्कि वे उनका सामना करते थे और उस पर विजय पाक आगे बढ़ते थे।
प्रश्न 2.
सही कथन के सामने का निशान लगाइए|
(क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है।
(ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।
(ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है।
(घ) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ अँगूठे से इशारा करते हो?
उत्तर:
(क) ✓
(ख) ✓
(ग) x
(घ) x
प्रश्न 3.
नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए
(क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है। और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।
(ख) तुम परदे का महत्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं।
(ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?
उत्तर:
(क) व्यंग्य-जूते का स्थान पाँवों में अर्थात् नीचे है यह सामर्थ्य अथवा ताकत का प्रतीक माना जाता है। टोपी का स्थान सिर पर अर्थात् सम्माननीय है पर स्थिति इसके विपरीत है। आज लोग अपने सामर्थ्य के बल पर अनेक टोपियों (सम्मानित एवं गुणी व्यक्तियों) को अपने जूते पर झुकने को विवश कर देते हैं और लोग अपना स्वाभिमान भूलकर अपना सिर उनके सामने झुकाते हैं।
(ख) व्यंग्य-लोगों में एक प्रवृत्ति होती है बुराइयों को छिपाने की या उन पर पर्दा डालने की। लोग अपनी बुराइयों को दूसरों के सामने नहीं आने देना चाहते हैं, पर प्रेमचंद ने अपनी बुराइयों को कभी छिपाने का प्रयास नहीं किया। वे भीतर-बाहर एक समान थे। दूसरे लोग पर्दे की आड़ में कुछ भी करते रहे हैं।
(ग) व्यंग्य-प्रेमचंद ने सामाजिक बुराइयों को अपनाना तो दूर उनकी तरफ देखा भी।
नहीं। उन्होंने इनकी तरफ हाथ से भी इशारा नहीं किया। इन्हें इतना घृणित समझा कि पैर की उँगली से उसकी ओर इशारा करते हुए दूसरों को भी उससे सावधान किया।
प्रश्न 4.
पाठ में एक जगह पर लेखक सोचता है कि “फोटो खिंचाने की अगर यह पोशाक है।
तो पहनने की कैसी होगी?’ लेकिन अगले ही पल वह विचार बदलता है कि नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी, आपके अनुसार इस संदर्भ में प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने की क्या वजहें हो सकती हैं?
उत्तर:
इसके दो कारण हो सकते हैं-
- लेखक ने पहली टिप्पणी सामान्य रूप से जगत के व्यवहार को देखकर की थी। प्रायः लोग अपने घर पहनने के और बाहर पहनने के कपड़ों में अंतर करते हैं। परंतु प्रेमचंद इन सबसे अलग हैं-यह उन्होंने बाद में सोचा।
- लेखक ने देखा कि प्रेमचंद जीवन-भर सरल और सहज बने रहे। उन्होंने कभी दिखावटी जीवन नहीं जिया। इसलिए पोशाकें बदलने की बात उन पर लागू नहीं होती। इसलिए उन्होंने बाद में अपनी टिप्पणी बदल दी।
प्रश्न 5.
आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन सी बातें आकर्षित करती हैं
उत्तर:
इस व्यंग्य में हमें लेखक की कई बातें आकर्षित करती हैं। सर्वप्रथम-लेखक ने व्यंग्यात्मक शैली में महान साहित्यकार प्रेमचंद का चित्र प्रस्तुत किया है। उनकी विशेषताओं से हमें परिचित कराया है। दूसरे लेखक ने प्रेमचंद पर व्यंग्य तो किया है, पर उसने स्वयं को कभी भी व्यंग्य से अलग नहीं रखा। तीसरे लेखक को मानव जीवन की अत्यंत गहरी समझ है।
उसने जीवन के दुख-सुख को अत्यंत निकट से देखा है। चौथे-लेखक सामाजिक बुराइयों तथा कुरीतियों के प्रति भी सजग है। उसने व्यंग्य के माध्यम से इन पर भी प्रहार किया है।
प्रश्न 6.
पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग किन संदर्भो को इंगित करने के लिए किया गया होगा?
उत्तर:
‘टीला’ रास्ते की रुकावट का प्रतीक है। जैसे बहती नदी में खड़ा कोई टीला सारे बहाव को रोक देता है, उसी शाँति अनेक बुराइयाँ, कुरीतियाँ और भ्रष्ट-आचरण जीवन की सहज गति को बाधित कर देते हैं। इस पाठ में ‘टीला’ शब्द का योग शोषण, अन्याय, छुआछूत, जाति-पाँति, महाजनी सभ्यता आदि बुराइयों के लिए हुआ है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 7.
प्रेमचंद के फटे जूते को आधार बनाकर परसाई जी ने यह व्यंग्य लिखा है। आप भी किसी व्यक्ति की पोशाक को आधार बनाकर एक व्यंग्य लिखिए।
उत्तर:
मेरे घर के पास में एक डॉक्टर साहब रहते हैं। उनकी डिग्री के बारे में लोगों को आजतक नहीं पता लगा, क्योंकि उनसे पूछने पर एक ही जवाब मिलता है कि डिग्री से इलाज नहीं होता, इलाज होता है अनुभव से। तुम मेरा अनुभव देखो। सचमुच उन डॉक्टर सॉहब को मैंने जब भी देखा होगा, वे हमेशा ही अपने गले में स्टेथेस्कोप लटकाए रहते हैं।
उनसे इलाज कराने जाओ तो वे पहले अपने अनुभव की चर्चा करते हैं, फिर अपनी अति व्यस्तता बताते हुए कहते हैं, जल्दी करो मुझे कई मरीज देखने बाहर जाना है, जबकि वे अपनी क्लीनिक छोड़कर बाहर नहीं निकलते हैं। बात करने पर लगेगा कि बराक ओबामा के बाद सबसे व्यस्त आदमी वही हैं। उनकी व्यस्तता सुन मरीज दुबारा उनके पास नहीं आते, पर उनकी व्यस्तता कम होने का नाम ही नहीं लेती है।
प्रश्न 8.
आपकी दृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है?
उत्तर:
आजकल लोग वेशभूषा के प्रति बहुत सचेत हैं। वे बाहर निकलने पर वेशभूषा का पूरा ध्यान रखते हैं। वे जानते हैं कि वेशभूषा के कारण लोगों के व्यवहार में अंतर आ जाता है। इसलिए वे समाज को प्रभावित करने के लिए वेश धारण करते हैं।
समाज भी वेशभूषा को महत्त्व देने लगा है। इसलिए विद्यालय में ही छात्र-छात्राओं को वेश सज्जा के प्रति सचेत कर दिया जाता है। आजकल धोती-कुर्ता या पायजामा पिछड़ेपन का प्रतीक माना जाता है। इसलिए लोग अपने-आपको पढ़ा-लिखा। दिखाने के लिए पैंट-कमीज धारण करते हैं। लड़कियों ने तो कमाल ही कर दिया है। वे अपनी परंपरागत वेशभूषा छोड़कर जींस-टॉप या कमीज-पैंट डालने लगी हैं। इससे वे स्वयं को आधुनिका के रूप में पेश करती हैं।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 9.
पाठ में आए मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 10. प्रेमचंद के व्यक्तित्व को उभारने के लिए लेखक ने जिन विशेषणों का उपयोग किया है उनकी सूची बनाइए।
उत्तर:
इस पाठ में प्रेमचंद के व्यक्तित्व को उभारने के लिए निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग हुआ है-
- महान कथाकार
- उपन्यास-सम्राट्
- युग-प्रवर्तक
- जनता के लेखक
- साहित्यिक पुरखे।
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