NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 13 ग्राम श्री
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प्रश्न-अभ्यास
( पाठ्यपुस्तक से )
प्रश्न 1.
कवि ने गाँव को ‘हरता जन मन’ क्यों कहा है?
उत्तर:
कवि ने गाँव को ‘हरता जन मन’ इसलिए कहा है, क्योंकि-
- वहाँ खेतों में दूर-दूर तक मखमली हरियाली फैली हुई है।
- हरियाली पर धूप की चमक पड़ने से लगता है कि हरियाली हँस रही है।
- खेतों में अनेक फसलें फल-फूल रही हैं।
- वृक्षों पर नाना प्रकार के फल तथा आमों के पेड़ों पर मंजरियाँ आने से वातावरण महक रहा है।
- गंगा के किनारे तरबूजों की खेती, तालाब में तैरते पक्षी गाँव के सौंदर्य में चार चाँद लगाते हैं।
- हरा-भरा गाँव पन्ना के (मरकत) के समान सुंदर है जो सबका मन हर रहा है।
प्रश्न 2.
कविता में किस मौसम के सौंदर्य का वर्णन है?
उत्तर:
कविता में शिशिर ऋतु के मौसम के सौंदर्य का वर्णन है। इसी मौसम में ढाक और पीपल के पत्ते गिरते हैं। आम के वृक्षों में मंजरियाँ फूटती हैं। चारों ओर फल-फूल खिलते हैं। तितलियाँ मँडराती हैं। आलू, गोभी, पालक, धनिया आदि की फसलें भी खूब लहलहाती हैं।
प्रश्न 3.
गाँव को ‘मरकत डिब्बे सा खुला’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:
गाँव में आम, नीम, जामुन, महुआ आदि के पेड़ तथा खेतों में नाना प्रकार की फसलें लहराती हैं। सारा गाँव हरा-भरा होता है, जिसे दूर से देखने पर यह मरकज जैसा लगता है। जगह-जगह खिले रंग-बिरंगे फूल, उन पर उड़ती तितलियाँ, सूरज की गुनगुनी धूप से निखरता सौंदर्य इस हरीतिमा में चमक पैदा करता है। गाँव हरा-भरा और चमकदार दिखाई देता है, इसलिए उसे मरकत के खुल डिब्बे-सा कहा गया है।
प्रश्न 4.
अरहर और सनई के खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं?
उत्तर:
अरहर और सनई के सुनहरे खेतों को देखकर कवि को लगता है कि मानो वसुधा ने अपनी कमर पर सुनहरे रंग के धुंघरुओं वाली करधनी धारण कर रखी हो। आशय यह है कि अरहर और सनई पर सुनहरे रंग की बजती हुई फलियाँ उग आई हैं।
प्रश्न 5.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेती
(ख) हँसमुख हरियाली हिम-आतप सुख से अलसाए-से सोए
उत्तर:
भाव निम्नलिखित हैं-
(क) गंगा नदी के किनारे फैली रेत पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो रेत चमक उठती है। यह रेत रंग-बिरंगी दिखती है। पानी की लहरों और हवा के कारण इस पर टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ पड़ जाती हैं जो साँपों के रेंगने से बने चिह्नों सी दिखती हैं।
(ख) हरियाली पर सूरज की किरणें पड़ने से लगता है कि वे हँस रही हैं। सूरज की धूप भी नर्म और कोमल है। लगता है कि धूप और हरियाली दोनों ही एक-दूसरे से मिलकर सोए हुए हैं।
प्रश्न 6.
निम्न पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है? तिनकों के हरे हरे तन पर हिल हरित रुधिर है रहा झलक
उत्तर:
- अनुप्रास – ‘हिल हरित रुधिर है रहा’ में ‘ह’ और ‘र’ की आवृत्ति हैं।
- पुनरुक्ति प्रकाश – हरे-हरे
- मानवीकरण – तिनकों का तन और रुधिर दिखाया गया है। उसे मानव की तरह प्रस्तुत किया गया है।
प्रश्न 7.
इस कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है वह भारत के किस भू-भाग पर स्थित है?
उत्तर:
कविता में गंगा के किनारे फैले विस्तृत मैदानों में किसी गाँव का वर्णन हो सकता है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 8.
भाव और भाषा की दृष्टि से आपको यह कविता कैसी लगी? उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
‘ग्राम श्री’ सुमित्रानंदन पंत की प्रसिद्ध कविता है। यह कविता भाव तथा भाषा दोनों दृष्टियों से अत्यंत सहज तथा सुंदर है।
भाव – इस कविता में गंगा किनारे के गाँव का अत्यंत सहज और मनोरम चित्रण हुआ है। सर्दी की समाप्ति पर हलकी-हलकी ठंड है। धूप सुहावनी लगती है। खेत फसलों और फल फूलों से लद गए हैं। कवि ने एक-एक फसल का सजीव चित्र आँखों के सामने साकार कर दिया है। धूप से उजले हुए हरे तिनके, गेहूँ और जौं की बालियाँ, अरहर और सनई की सुनहरी फसलें, फूली सरसों, तेल की सुगंध से महकते खेत, रंग-बिरंगे फूलों पर नाचती रंगीन तितलियाँ, आम की मंजरियाँ, मीठे बेर, चित्तीदार अमरूद, मखमली टमाटर-कवि ने फसलों की विविधता का अत्यंत स्वाभाविक और सुंदर चित्रण किया है। इसे पढ़कर पाठक सहज ही ग्रामीण परिवेश में पहुँच जाता है।
भाषा – यह कविता भाषा की दृष्टि से बहुत सुंदर है। सहज सौंदर्य को प्रकट करने के लिए सहज सुंदर भाषा का प्रयोग किया गया है। पहली ही काव्य-पंक्ति देखिए
‘फैली खेतों में दूर तलक
मखमल की कोमल हरियाली।
इसमें एक-एक शब्द सधा हुआ है। ‘ल’ वर्ण की विशेष आवृत्ति हुई है। कवि ने कोमल शब्दों का प्रयोग करने में विशेष सावधानी बरती है। विशेषणों का प्रयोग करने में कवि विशेष रूप से सजग है। उदाहरण देखिए-हरित रुधिर, चिर निर्मल नील फलक, तैलाक्त गंध, फूली सरसों पीली-पीली आदि।
पंत जी ने अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा और मानवीकरण अलंकारों को कुशलतापूर्वक प्रयोग किया है। कुछ उदाहरण देखिए-
अनुप्रास – हिल हरित रुधिर है रहा झलक।
उपमा – मरकत डिब्बे-सा खुला ग्राम।
पुनरुक्ति प्रकाश – तिनकों के हरे-हरे तने पर।
रूपक – बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेती।
उत्प्रेक्षा – फूले फिरते हो फूल स्वयं उड़ उड़ वृतों से वृतों पर।
मानवीकरण – रोमांचित-सी लगती वसुधा।
प्रश्न 9.
आप जहाँ रहते हैं उस इलाके के किसी मौसम विशेष के सौंदर्य को कविता या गद्य में वर्णित कीजिए।
उत्तर:
मैं उत्तरी दिल्ली के एक गाँव में रहता हूँ। दिल्ली में सामान्यतया वर्षा कम (सन् 2010 को छोड़कर) ही होती है। किंतु सर्दी और गर्मी इतनी पड़ती है कि वर्षा की कमी सर्दी-गर्मी पूरी कर देती हैं। यहाँ सर्दियों में तापमान 3-4°C तक गिर जाता है तो गर्मियों तापमान बढ़कर 46-47°C तक पहुँच जाता है। दिल्ली शहर कंक्रीटों और सीमेंट का जंगल बनता जा रहा है। जो कुछ हरियाली बची है वह ग्रामीण क्षेत्रों में ही है।
मुझे सर्दियों का मौसम तथा वसंत ऋतु पसंद है। इस समय तरह-तरह की फसलें और सब्जियाँ तैयार हो जाती हैं। फलों में अमरूद, केला, पपीता जैसे फल पककर तैयार होते हैं। जिन पेड़ों के पत्ते गिर चुके होते हैं उनमें नई-नई कोंपलें, फूल तथा फल आने शुरू हो जाते हैं। फूलों के खिलने, पक्षियों के कलरव तथा सर्दी-गर्मी कम होने से वातावरण मनोरम बन जाता है।
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